जाने अनजाने, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में देख़ते है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य विधानसभा में उनकी सरकार के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही चर्चा के दौरान कहा , “कांग्रेस ‘दयनीय’ स्थिति में है और उसके अधिकांश नेता भाजपा में शामिल होने के लिए सिर्फ एक कॉल का इंतजार कर रहे हैं “
कांग्रेस अपने नेता का चुनाव नहीं कर पा रही है जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता एक-दूसरे को “भाजपा का एजेंट” बता रहे हैं , उन्होंने दावा किया कि अधिकांश कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल होने के लिए इंतजार कर रहे हैं ।
हालांकि हल्के मूड में, लेकिन केरल के मुख्यमंत्री ने सिद्ध कर दिया की भाजपा सबसे शक्तिशाली दल है और कांग्रेस छोड़कर कर जाने वाले नेता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की तुलना में भगवा दल को प्राथमिकता दे रहे है।
दिलचस्प बात यह है कि अयोध्या मुद्दे पर, कम्युनिस्ट नेताओं के निशाने पर कांग्रेस थी ना की भाजपा । “अयोध्या मुद्दे पर कांग्रेस का दोहरे मापदंड है । कुछ नेताओं ने इसका समर्थन कर रहे है, जबकि कुछ विरोध।
वह काँग्रेस पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की मांग करने वाले एक वर्ग और गांधी परिवार में अटूट विश्वास रखने वाले एक दूसरे वर्ग के बीच राष्ट्रीय नेतृत्व को लेकर हो रही नोकझोक का जिक्र कर रहे थे ।
विजयन ने कहा” कांग्रेस पार्टी ने यहाँ एक अविश्वास प्रस्ताव ला दिया है, जबकि दिल्ली में एक दूसरा अविश्वास प्रस्ताव लागू हो रहा है। वहां उनके नेता एक-दूसरे को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को खुले तौर पर कहना पड़ रहा है कि वे एक नहीं हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने बयान वापस भी ले लिया था।
हालांकि विजयन सरकार के विरुद्ध लाया गया ये अविश्वास प्रस्ताव गिर गया । जहां सरकार के पक्ष मे 87 मत पड़े वहीं विपक्ष में सिर्फ 40 मत आए । इस प्रस्ताव पर लगभग 9 घण्टों तक बहस चली ।
विजयन ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने 1980 के दशक में कहा था कि केरल में वाम मोर्चा फिर से कभीे सत्ता में नहीं आएगा। लेकिन, तब से लेकर अब तक प्रदेश मैं चार बार वाम मोर्चा की सरकार बन चुकी है।
कांग्रेस के नेताओ के लिए भाजपा को एक विकल्प बताना कम्युनिस्ट नेताओ के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है राजनीति में इस तरह के बयान काफी महत्व रखता है।