एयर इंडिया की ‘घर वापसी’, टाटा संस ने जीती बोली

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नई दिल्ली, अक्टूबर 8

लगभग ६८ साल बाद एयर इंडिया अब टाटा संस का हो गया। टाटा ने एयर इंडिया की बोली जीत ली है।

मंत्रियों की समिति ने टाटा संस की बोली को हरी झंडी दे दी है। टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की विजेता बोली लगाई थी। टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है।

यह जानकारी निवेश एवं लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग सचिव ने दी। सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा से 2,700 करोड़ रुपये नकद मिलेंगे।

सरकार की शर्तों के मुताबिक सफल बोली लगाने वाली कंपनी यानी टाटा को एयर इंडिया के अलावा सब्सिडरी एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा। वहीं, एआईएसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी पर कब्जा होगा। आपको यहां बता दें कि एआईएसएटीएस प्रमुख भारतीय हवाईअड्डों पर कार्गो और जमीनी स्तर की सेवाओं को उपलब्ध कराती है। विनिवेश नियमों के मुताबिक टाटा को एयर इंडिया के घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लैंडिंग की मंजूरी मिलेगी। वहीं, पार्किंग आवंटनों का नियंत्रण दिया जाएगा।

एयर इंडिया की स्थापना 1932 में टाटा एयर सर्विसेज के तौर पर हुई थी, जिसका नाम बाद में बदलकर टाटा एयरलाइंस कर दिया गया था। एयरलाइन की शुरुआत भारतीय बिजनेस के दिग्गज जे आर डी टाटा ने की थी। अप्रैल 1932 में, टाटा ने इंपीरियल एयरवेज के लिए मेल ले जाने का कॉन्ट्रैक्ट जीता था। इसके बाद टाटा संस ने दो सिंगल इंजन विमानों के साथ अपना एविएशन डिपार्टमेंट बनाया। 15 अक्टूबर 1932 को टाटा ने कराची से बॉम्बे के लिए एक एयर मेल ले जाने वाला विमान उड़ाया। यह एयरक्राफ्ट मद्रास तक गया, जिसके पायलट पूर्व रॉयल फोर्स के पायलट Nevill Vintcent थे, जो टाटा के दोस्ट भी थे. शुरुआत में, कंपनी ने साप्ताहिक एयर मेल सर्विस का संचालन किया, जो कराची और मद्रास के बीच और अहमदाबाद और बॉम्बे के जरिए चलती थी। अपने अगले साल में, एयरलाइन ने 2,60,000 किलोमीटर की उड़ान भरी. इसमें पहले साल में 155 मुसाफिरों ने सफर किया और 9.72 टन मेल और 60,000 रुपये का मुनाफा कमाया।

इसके बाद साल 2017 में केंद्रीय कैबिनेट ने एयर इंडिया के निजीकरण को मंजूरी दी. साल 2018 में एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की गई, जो असफल रही। अपने असफल प्रयास के बाद, सरकार ने पिछले साल जनवरी में विनिवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू किया और एयर इंडिया में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी सहित राज्य के स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत वाली एक्सप्रेस लिमिटेड और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 फीसदी इक्विटी बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित कीं।

आपको बता दें कि एयर इंडिया पर कुल 38,366.39 करोड़ रुपये का कर्ज है। एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड के स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) को एयरलाइन द्वारा 22,064 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के बाद की यह रकम है.सरकार ने संसद को बताया था कि अगर एयर इंडिया बिक नहीं पाती है तो उसे बंद करना है एकमात्र उपाय।

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