डोकलाम में भारत से बुरी तरह से मुंह की खाने के बाद ,अब चीन उत्तरी बांग्लादेश में एक बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है जो आने वाले समय में भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
तीस्ता नदी हमेशा से ही भारत बांग्लादेश के गले की फांस रही है। इस नदी से जुड़े मामलों पर हमेशा विवाद की स्तिथि बनती रही है ।लेकिन अब दोनों देशों के बीच की इस दूरी का फायदा चीन उठाना चाह रहा है जो पहले ही भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश मैं लगा हुआ है।
प्रस्तावित कार्यक्षेत्र भारत के संवेदनशील इलाके सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बहुत करीब है। जिसे चिकेन्स नैक (मुर्गी की गर्दन) भी कहा जाता है।
चीन ने पहले तो भूटान के उत्तर की ओर से भारत के महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर को हथियाने का व्यर्थ प्रयास किया, लेकिन अब, वह बांग्लादेश के दक्षिणी हिस्से से भारत को परेशानी में डालने की तैयारी कर रहा है।
चीन ने 2017 में भारत, भूटान और चीन के कब्जे वाले तिब्बत के पास डोकलाम पठार पर कब्जा करने का प्रयास किया था। जिसके परिणामस्वरूप डोकलाम में भारतीय और चीनी सेना के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा।
यदि चीन डोकलाम पर कब्जा करने में सफल हो जाता तो इससे चीन को अपार रणनीतिक लाभ होता। डोकलाम चिकेन्स नैक कहे जाने वाले सिलीगुड़ीे कॉरिडोर से बमुश्किल 50 किमी दूर है जिससे वे वहां से कॉरिडोर पर आसानी से नजर रख सकते थे जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है। और ये भारत के लिए अच्छा नहीं होता ।
डोकलाम से पीछे हटने के लिए मजबूर होने के बाद, चीन अब उत्तरी बांग्लादेश में “तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन और पुनर्स्थापना परियोजना” पर काम कर रहा है। चीन 983 मिलियन डॉलर की इस मेगा परियोजना में पैसा लगा रहा है जिसमें तीस्ता नदी परियोजना (जो सिक्किम में उत्पन्न होती है और बांग्लादेश में उत्तर बंगाल से होते हुए बहती है) भी शामिल है, इसके अंतर्गत नदी की चौड़ाई को एक किलोमीटर तक सीमित रखने के साथ ही तटबंधों और बांधो का भी निर्माण किया जा रहा है ताकि संबंधित क्षेत्र में बाढ़ जैसी समस्या फिर न उत्पन्न हो ।
तीस्ता नदी बांग्लादेश में प्रवेश करने के बाद, भारत-बांग्लादेश सीमा के लगभग समानांतर ही बहती है। चीन तीस्ता नदी पर जो भी निर्माण करेगा पर वह भारत बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज़ 10 किलोमीटर से 30 किलोमीटर की दूरी के अंदर ही होगा।
बांग्लादेश का कहना है कि तीस्ता नदी के पानी का इस्तेमाल भारत ही करता रहा है जबकि मानसून के मौसम मैं सारे पानी को इसमें छोड़ देता है जिससे यहाँ बाढ़ की स्तिथि निर्मित हो जाती है। हालांकि बांग्लादेश ने इस नदी के उचित प्रबन्धन के लिए पहले भारत से ही मदद की गुहार लगाई थी ।
चीनी कंपनियां यहां कारखानों का निर्माण करेंगी, जिसमें एक बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ ही एक आधुनिक शहर का निर्माण भी शामिल है जो भारत-बांग्लादेश सीमा से सिर्फ 40-किलोमीटर दूर होगा।
इन फैक्ट्रियों के पास ही कुछ टाउनशिप भी चीन द्वारा बनाने की योजना है, जो तीस्ता नदी के उत्तरी तट पर स्थापित किये जाएंगे यह प्रमुख रूप से उनके निवास स्थान होंगे जो पूरी तरह चीनियों द्वारा संरक्षित होंगे।
चीन ने कई अन्य देशों में इसी तरह की टाउनशिप बनाई है और म्यांमार में बनाए गए श्वे कोक्को टाउनशिप की तरह ही ये इन सभी टाउनशिप में भी स्थानीय लोगों का प्रवेश वर्जित है।
ये टाउनशिप अक्सर निजी सुरक्षाकर्मियों से घिरे हुए होते हैं और ये सुरक्षाकर्मी कोई आम सुरक्षाकर्मी न होकर चीनी सेना के जवान होते हैं जो हर तरह की स्थिति के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित और हर तरह के उन्नत हथियारों से लैस होते हैं ।