पानी के लिए हाहाकार, हिल स्टेशन गए छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के जिम्मेदार

फाइल चित्र

न्यूज़ रिवेटिंग

रायपुर, 14 अप्रैल

छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) द्वारा संचालित कुछ कॉलोनियों के निवासी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं वही जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी गर्मी से राहत पाने हिल स्टेशन की यात्रा पर निकल गए हैं।

बताया जा रहा है कि सीएचबी के वरिष्ठ अधिकारियों का एक समूह दक्षिणी राज्य के एक हिल स्टेशन की यात्रा पर है। इसकी पुष्टि तब हुई जब सड्‌डू सेक्टर 8 कॉलोनी के निवासियों ने पानी की किल्लत को लेकर कार्यालय के कर्मचारियों से संपर्क किया। कर्मचारियों ने संक्षेप में कहा, संकट का समाधान करने के लिए जिस अधिकारी के पास अधिकार है, वे इस समय एक हिल स्टेशन की यात्रा पर है और अगले सप्ताह ही वापस आएंगे।

स्थानीय निवासियों के अनुसार उन्हें मुश्किल से 5 मिनट पानी की आपूर्ति हो रही है, वह भी स्थिर नहीं है। सीएचबी को जलकर भुगतान करने के बावजूद पिछले एक माह से वे पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह जानने के बाद भी कि बोरवेल सूख गया है, बोर्ड के अधिकारियों ने वैकल्पिक व्यवस्था करने की जहमत नहीं उठाई।

बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे मामलों में पानी के टैंकरों से टैंक भरकर आपूर्ति बहाल की जाती है। बोर्ड के बजट में इसके लिए एक अच्छा प्रावधान भी किया जाता है। सीएचबी कागजो में इस मद में भारी भरकम रकम चुका रहा है।

सीएचबी संभाग के अधिकारी बेबस हैं। वे अपने वरिष्ठ अधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही पानी के टैंकर लगा सकते है जो इस समय परिवार के सदस्यों के साथ हिल स्टेशन की यात्रा पर है। अन्य अधिकारी भी अपने परिवार के साथ गए हैं।

इस मुद्दे पर सीएचबी आयुक्त का मत जानने न्यूज रिवेटिंग द्वारा भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

कॉलोनी के एक निवासी ने चुटकी लेते हुए कहा कि जिन बोर्ड अधिकारियों को पानी की समस्या के समाधान करने का जिम्मा सौंपा गया है, वे ठंडी हवा का आनंद ले रहे हैं वही लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें टैंकर किराए पर लेना पड़ रहा हैं। उन्होंने कहा, “मैं टैंकरों के लिए जो भुगतान करता हूं वह सीएचबी को चुकाए जा रहे जल कर से दोगुना है।”

हालांकि, निवासियों का एक समूह रसीदों के साथ उपभोक्ता फोरम में जाने की योजना बना रहा है और साथ में मानवाधिकार आयोग भी। उन्होंने हवाला दिया कि जुलाई 2010 में, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा के संकल्प 64/292 में पानी को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।

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