सोशल मीडिया पर किये गए एक पोस्ट के अनुसार भगवान राम को विवादों में लाना प्रधानमंत्री ओली का व्यक्तिगत मामला है और भारत के पड़ोसी हिमालयी देश के आम लोगो का इससे कोई वास्ता नहीं है।
प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने दावा किया था भगवान राम “नेपाली” हैं। अब वे इसे सिद्ध करने के लिए कुछ भी निर्णय ले रहे है। नेपाल की एक क्षेत्रीय सरकार ने 100 बीघा, लगभग 40 एकड़ भूमि पर अयोध्यापुरी धाम बनाने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के अनुसार चितवन जिले की माडी नगरपालिका में भगवान राम का जन्म हुआ है और यहीं अयोध्यापुरी धाम के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का निर्णय लिया गया है।
राजनेता चाहे किसी भी देश का हो, वह व्यक्तिगत रूप से अपने या अपनी पार्टी के फायदे के लिए ही हर चीज कहता या करता है, भले ही वह उसके राष्ट्र के के लिए फायदेमंद हो या न हो, और ओली भी कोई अपवाद नहीं है।
अपने देश में नेपाली प्रधानमंत्री किसी अच्छी स्थिति में नहीं हैं। नेपाल की राजनीति या शासन में चीनी राजदूत द्वारा बहुत अधिक हस्तक्षेप के कारण देश के प्रति उनकी जवाबदेही सवालों के घेरे में आ गई है।
आधिकारिक तौर पर नेपाल कोई हिंदू राष्ट्र नहीं है, यहाँ साम्यवादी विचारधारा वाली कम्युनिस्ट पार्टियों का शासन है। नेपाल को हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में बदल दिया गया है। इसलिए आदर्श और वैचारिक रूप से, ओली को किसी धार्मिक मामले , या हिंदू धर्म या “राम” के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है।
काठमांडू के एक राजनीतिक टिप्पणीकार कहते है ओली को इस बात से मतलब नहीं है कि भगवान राम का संबंध भारत से है या नेपाल से। न ही उनकी उनकी राय से कोई फर्क पड़ता है। वे अपने स्वार्थ के लिए किसी हद तक जा सकते है और भगवान राम को विवादों में लाना इसका एक उदाहरण है ।
धार्मिक भावनाएं बेच कर वोट हासिल करना राजनीति का एक प्रमुख हथियार है। ओली को अपनी खराब छवि और विफलता के साथ-साथ अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जनता के समर्थन की अत्यधिक आवश्यकता थी। भगवान राम नेपाल में भी आस्था का केंद्र है और नेपाल के प्रधानमंत्री यह अच्छे से जानते है।
विशेषज्ञों ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति को लेकर किये जा रहे उनके प्रयास अच्छे नहीं है। चीन के प्रति उनके बढ़ते झुकाव के साथ देश में बढ़ते चीनी हस्तक्षेप को भी वे उचित ठहराते हैं जो नेपाल के आम लोगों को रास नहीं आ रहा है।
ओली को लगता है कि भगवान राम स्थानीय जनता का विश्वास हासिल करने में उनकी मदद कर सकते हैं।