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पटना, अगस्त 30
झारखण्ड के दुमका में स्कूल की नाबालिग छात्रा अंकिता कुमारी सिंह को जलाकर मार देने की निर्मम घटना ने निर्भया कांड की यादों को एक बार फिर से ताजा कर दिया है।
पटना उच्च न्यायालय की वरिष्ठ महिला अधिवक्ता और एडवोकेट्स एसोसिएशन की पूर्व संयुक्त सचिव श्रीमती छाया मिश्र ने दुख व्यक्त किया की अंकिता के साथ न्याय नहीं हुआ। उनके पिता ने आरोप लगाया कि रांची के अस्पताल में जहां वह पांच दिनों तक भर्ती रही डॉक्टर लापरवाह रहे,इस बालिका को अच्छा इलाज के लिए दिल्ली नही भेजा गया।
श्रीमती छाया मिश्र ने कहा कि न्यायमूर्ति जे एस वर्मा आयोग की सिफारिशों का झारखंड और बिहार में अमल नहीं हो रहा है। निर्भया कोष जिसमें 3000 करोड़ रुपये जमा है, इन दो राज्यों में समुचित उपयोग भी नही किया जा रहा है।
श्रीमती छाया मिश्र ने कहा कि झारखंड में कोष के 15 करोड़ रुपये से मात्रा ग्यारह लाख रूपए ही खर्च हुए। झारखंड फिसड्डी साबित हुआ है यहां पर डायन बताकर महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। वन स्टॉप सेंटर सिर्फ रांची में खोला गया है। स्मरण हो कि धनबाद में कुछ साल पहले कॉलेज की एक छात्रा पर तेजाब फेंक कर चेहरा जला दिया गया था।
इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने में भी झारखंड फिसड्डी साबित हुआ है।
बिहार की स्थिति भी निर्भया कोष के मामले में खराब ही है। बिहार जो मुजफ्फरपुर और गाय घाट पटना के शेल्टर होम्स के मामले में बदनाम हो चुका है, सीसीटीवी, इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और सीसीटीवी लगाने के मामले में बहुत ही धीमा काम हुआ है। राज्य में 12.29 करोड़ रुपये जो सपोर्ट सिस्टम के लिया तय किया गया था, एक पैसा भी नहीं खर्च हुआ है।
श्रीमती छाया मिश्र ने मांग किया है कि राज्य सरकार संवेदनशील हो और निर्भया कोष का उपयोग पीड़ित बालिकाओं के राहत के लिए उपयोग करे।