जयललिता की मौत में शशिकला को ‘दोषी’ ठहराया गया

जयललिता के साथ शशिकला

न्यूज़ रिवेटिंग

चेन्नई, 18 अक्टूबर

तमिलनाडु सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में अलग-अलग जांच आयोगों की रिपोर्ट पेश की जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत भी शामिल है।

2016 में जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच करने वाले जस्टिस ए अरुमुघस्वामी आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि दिवंगत मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र वी के शशिकला को “दोषी ठहराया जा सकता है और जांच का आदेश देना होगा।” रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए  हैं, जिनमें अन्नाद्रमुक नेता के अंतिम दिनों की कुछ जानकारियां और शशिकला के साथ उनके रिश्ते भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, शशिकला की रिश्तेदार कृष्णाप्रिया ने अरुमुघस्वामी आयोग को दिए अपने बयान में कहा कि जयललिता और शशिकला के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि शशिकला को पोएस गार्डन में केवल इसलिए बुलाया गया क्योंकि वह जया की ‘इच्छा’ के अनुसार काम कर रही थीं और वादा करने के बाद कि वह राजनीतिक मामलों में शामिल नहीं होंगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री को भर्ती होने से पहले एक पेरासिटामोल दिया गया था। आयोग ने चिकित्सीय सलाह के बावजूद एंजियोप्लास्टी नहीं करने के पीछे के औचित्य पर सवाल उठाया है। यह भी सिफारिश की कि अपोलो अस्पताल के प्रताप सी रेड्डी को भी जांच के घेरे में लेना चाहिए।

शशिकला के कहे अनुसार ही जया का इलाज आगे बढ़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि जया की मौत के समय और तारीख में अंतर था। यहां तक ​​कि जया के डॉक्टर को भी दाखिले से पहले उनकी बीमारी के बारे में पता चल गया था।

ग्रीम्स रोड पर स्थित अपोलो अस्पताल के जिस फ्लोर पर जया का इलाज चल रहा था वह के 10 से अधिक कमरे शशिकला के परिवार के सदस्यों ने बुक कर लिए थे।  आयोग ने इसके पीछे के मकसद पर भी सवाल उठाया। उन्होंने यह भी पूछा कि जया का इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम में डॉ समीन शर्मा को कौन लाया?

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी जांच होनी चाहिए कि डॉक्टर रिचर्ड बीले और डॉ स्टुअर्ट रसेल के सुझावों के बावजूद डॉ बाबू ने एंजियोप्लास्टी को स्थगित करने का फैसला क्यों किया?

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