ममता को हारने बंगाल में “एक” हुई भाजपा

रैली का नेतृत्व करते कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चट्टोपाध्याय और बैसाखी बनर्जी

टीम न्यूज़ रिवेटिंग

कोलकाता, जनवरी 13

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राज्य के आगामी चुनावों में ममता बनर्जी को हराने के लिए अपने आपसी मतभेदों को दूर करते दिख रहे है।

सोमवार दोपहर को दक्षिण कोलकाता में बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आयोजित एक रैली में इसी रणनीति का प्रदर्शन देखा गया। रैली का नेतृत्व कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चट्टोपाध्याय ने किया जो एक समय में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के विश्वासपात्र रहे हैं। इस रैली में उनके साथ बैसाखी बनर्जी भी थी।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों इसे पार्टी की राज्य इकाई के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देख रहे हैं। रैली में चट्टोपाध्याय की भागीदारी राज्य में भाजपा के लिए एक जीत के समान है , क्योंकि इससे आमजन में भाजपा की एकता का संदेश गया है। पिछले हफ्ते, उन्होंने शहर में पार्टी द्वारा आयोजित एक रोड-शो में नहीं गए जिससे पार्टी के भीतर गलत सन्देश गया था।

कोलकाता के पूर्व महापौर, जो 14 अगस्त 2019 को भाजपा में शामिल हुए थे, को कथित तौर पर पार्टी के पुराने नेताओं द्वारा दरकिनार कर दिया गया था। तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों से पलायन करने वाले नेताओं और भाजपा के पुराने नेताओं के बीच के मतभेदों ने पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती पेश की थी।

पश्चिम बंगाल को जीतने की अपनी रणनीति के तहत, भाजपा प्रबंधकों ने पहले अपने घर को ठीक ठाक करने की रचना बनाई । कम्युनिस्ट और तृणमूल शासन के दौरान बंगाल में जमीनी भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए संघर्ष और बलिदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन नए आए हुए नेताओं की मदद के बिना तृणमूल को हराना भी एक कठिन काम होगा।

उदाहरण के लिए, मुकुल रॉय (एक पूर्व तृणमूल नेता) ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तृणमूल, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के कई अन्य प्रभावशाली नेता जो 2019 के चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हुए थे, उन्होंने भी भगवा पार्टी को बंगाल में 18 सीटें जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

बीजेपी के एक शीर्ष नेता ने न्यूज़ रिविटिंग को बताया कि पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के नेताओं के साथ कई बैठकें कीं और उनसे साफ शब्दों में कहा कि वे अपने मतभेदों को दूर करें और एक साथ काम करें।

कोलकाता की रैली में पश्चिम बंगाल को जीतने के लिए बनाई गई इस रणनीति की झलक देखने को मिल गई।

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