टीम न्यूज़ रिवेटिंग
ट्राइफेड छत्तीसगढ़ राज्य में दस ट्राइफूड इकाइयां स्थापित करने जा रही और इसके लिए स्थान चिन्हित करने का प्रस्ताव दिया है।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सहयोग से जनजातीय मामले मंत्रालय के ट्राइफेड द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे परियोजना के तहत दो गौण वन ऊपज तृतीयक प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी। महाराष्ट्र के रायगढ़ की इकाई का उपयोग महुआ, आंवला, कस्टर्ड सेब एवं जामुन के मूल्य वर्धन के लिए किया जाएगा, जबकि छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की मल्टी कमोडिटी प्रोसेसिंग सेंटर का उपयोग महुआ, आंवला, शहद, काजू, हल्दी, एवं अन्य फलों तथा सब्जियों के लिए किया जाएगा।
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्ण के नेतृत्व में ट्राइफेड के अधिकारियों के एक दल ने जनजाति विकास कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ का दौरा किया। उन्होंने कहा कि राज्य के जनजातीय समुदाय को फायदा पहुंचाने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता, उनकी मार्केटिंग तथा उनकी ब्रांडिंग के लिए बाकायदा एक रणनीति तैयार किए जाने की आवश्यकता है।
बैठक में यह सुझाव दिया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य ट्राइफूड इकाइयों के माध्यम से जनजातीय समुदाय की उद्यमशीलता और आजीविका के अवसर विकसित करने के लिए अनुच्छेद 275 (1) के तहत आवंटित धन तथा जिला खनिज निधि का 10 प्रतिशत हिस्सा देने पर विचार कर सकता है। बैठक में स्फूर्ति योजना के तहत विकसित किए जाने के लिए जनजातीय समुदाय के 25 क्लस्टरों को चिन्हित करने का सुझाव भी दिया गया। ट्राइफेड छत्तीसगढ़ राज्य में दस ट्राइफूड इकाइयां स्थापित करने जा रही और इसके लिए स्थान चिन्हित करने का प्रस्ताव दिया है। इस समय जगदलपुर में ऐसी ही एक इकाई लगाने का काम पूरे जोर शोर से चल रहा है।
क्रियान्वित की जा रही कार्ययोजनाओं में से एक लघु वनोपज की कटाई के दौरान छत्तीसगढ़ में एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन करना है। इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं और प्रणालियों को अन्य राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। बैठक में यह सिफारिश भी की गई कि राज्य एमएसपी की योजना के तहत एमएफपी की सूची में 15 और वस्तुओं को शामिल करने का प्रस्ताव पेश करे।
उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में आजीविका की गतिविधियों के विस्तार की बड़ी संभावनाएं हैं। बैठक में व्यापक विचार विमर्श के बाद वन धन विकास केन्द्रों की संख्या 231, हाट बाजारों की संख्या 370 गोदामों की संख्या 74 और टेरटिएरी प्रसंस्करण इकाइयों की संख्या अगले वित्त वर्ष में बढ़ाकर 13 करने का फैसला लिया गया।
इसके अतिरिक्त बैठक में हथकरघा, हस्तशिल्प और प्राकृतिक खाद्य उत्पादों की बिक्री के उपायों पर भी विचार विमर्श किया गया। ट्राइफेड इसके लिए सभी राज्य परिसंघों के साथ मिलकर एक व्यवस्था बना रहा है। छत्तीसगढ़ में ट्राइब्स इंडिया के 10 आउटलेट खोलने पर भी विचार किया जा रहा है – जिनमें से दो ट्राइफेड की टीम के राज्य के दौरे पर आने के दौरान ही खोले गए थे।
इस सफल बैठक ने ट्राइफेड की टीम की राज्य की चार दिवसीय यात्रा की गतिविधियों और इस दौरान किए जाने वाले विचार-विमर्श के लिए एक अवसर तैयार किया। इसके बाद के कुछ दिनों में जनजातीय समुदाय से जुड़ी विकास योजनाओं के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन, उनकी प्रगति तथा उनके समक्ष मौजूद चुनौतियों की समीक्षा की गई और साथ ही भविष्य की योजनाओं की रूप रेखा भी तय की गई। छत्तीसगढ़ के बाद अगले कुछ हफ्तों में अन्य राज्यों में भी इन योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।