क्या राकेश टिकैत का बयान अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र की और इशारा करता है ?

किसान आंदोलन के अग्रणी नेता राकेश टिकैत के बयान से स्पष्ट होता है कि भारत में अराजकता फ़ैलाने में अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र से इंकार नहीं किया जा सकता।

टिकैत ने कहा है कि 73 मुल्कों में है उनका संगठन है। यह बता कर वे क्या कहना चाहते है ये तो वे स्वयं जाने लेकिन टिकैत शायद यह बात कह कर धमका चाह रहे हो कि भारत के आंदोलन को विश्व स्तर पर फैला सकते है।

यह इस लिए भी गौर करने की बात है क्यूंकि कुछ विदेशी लोग और देश भारत के निजी मामलो में दखल देते हुई किसान आंदोलन को लेकर टिपण्णी की कई। वैसे किसान आंदोलन जहां धीरे धीरे अपनी अहमियत खोता जा रहा है, तो वहीं कुछ नेता अभी भी इस डूबती नैया पर टिके हुए हैं, इस आस में कि कैसे भी नैया पार लग जाए।

इनमे सबसे ऊपर है किसान नेता राकेश टिकैत, जिनका दावा है कि उनका संगठन दुनियाभर के 73 देशों में फैला है और वे अलग-अलग सरकारों की नीतियों पर भी नजर रखते हैं। उनका का दावा है कि वर्तमान किसान आंदोलन को 73 देशों के किसानों का समर्थन प्राप्त है।

कल ही इन कथित किसानों ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम घोषित किया था। लेकिन इसका असर कहीं भी नहीं दिखा। आंदोलन के प्रमुख केंद्र पंजाब और कुछ हद तक राजस्थान को छोड़ दें, तो ये चक्का जाम बुरी तरह फ्लॉप सिद्ध हुआ। कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में तो चक्का जाम करने वालों को प्रशासन ने भगा भी दिया। ऐसे में राकेश टिकैत के इस हास्यास्पद आंदोलन को कौन समर्थन दे रहा है, ये तो भगवान ही जाने।

लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि राकेश टिकैत की बातों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर लेना चाहिए। वर्त्तमान परीस्थिति में अब यह संदेह और पुख्ता होता है कि भारत में अराजकता फैला रहे इन नकली किसानों के पीछे कोई बहुत बड़ा हाथ है। ऐसे में यदि राकेश टिकैत दावा कर रहे हैं कि उन्हें 73 देशों के किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त है, उससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि यह लोग कुछ खतरनाक इरादों को अंजाम देने की तैयारी में है।

जब से गणतंत्र दिवस पर खालिस्तानियों ने लाल किले पर हमले को अंजाम दिया है, तब से किसान आंदोलन को जो थोड़ा बहुत भी जनता से समर्थन मिलता है, वो अब खत्म हो चुका है, और अपने आप को तर्कसंगत बनाए रखने के लिए राकेश टिकैत जैसे कथित किसान नेता नए नए हथखण्डे अपना रहा है।

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