आर कृष्णा दास
बंगाल के लिए एग्जिट पोल के नतीजे, गुरुवार (29 अप्रैल) को संपन्न हुए अंतिम और आठवें चरण के मतदान के तुरंत बाद घोषित किए गए।
जबकि उनमें से दो ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को स्पष्ट जीत दिलाई वही दो अन्य ने कहा कि तृणमूल आसानी से बहुमत के साथ सत्ता में वापस आ रही है। दो अन्य सर्वेक्षण ने त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताते हुआ कहा कि बंगाल में भाजपा और तृणमूल के बीच करीबी लड़ाई है।
एग्जिट पोल को लेकर देश में चर्चा चालू हो गयी है। लेकिन बंगाल के राजनितिक विशेषज्ञों की माने तो इन नतीजों पर सीधे विश्वास नहीं गया जा सकता। इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि बंगाल में इस तरह के एग्जिट पोल करना एक कठिन कार्य है क्यूंकि वहां का मतदाता हमेशा भय के वातावरण में रहता है और इसलिए एक निष्पक्ष राय की अपेक्षा उनसे कभी नहीं की जा सकती।
कोलकाता की एक वरिष्ठ पत्रकार और विशेषज्ञ का मानना है कि बंगाल में यह परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। पहले कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर का इतना आतंक था खासकर ग्रामीण इलाको में की यदि लोगो को चोरी की रिपोर्ट लिखाने पुलिस थाना जाना हो तो वामपंथी दल के स्थानीय नेता की स्वीकृति लगती थी। दशकों तक बंगाल की जनता से कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ एक शब्द भी बोलने के हिम्मत नहीं दिखाई।
वामपंथियों के जाने के बाद सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने परंपरा को बनाये रखा। कम्युनिस्ट पार्टी के बहुत से बाहुबली नेता अब ममता के साथ है। विशेषज्ञों का कहना है प्रतिशोध का डर मतदाताओं में रहता है और वे अपने मन की बात खुल कर कभी नहीं कहते। बंगाल में लोग किसे वोट दिया है यह कहने का साहस कभी नहीं कर सकते वह भी किसी अजनबी के सामने।
सभी आठ चरणों में मतदान, और विशेष रूप से पिछले तीन चरणों में, हिंसक घटनाओं और तृणमूल गुंडों द्वारा चुनावों में धांधली करने के प्रयासों को केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति ने विफल कर दिया। ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ तीव्र सत्ता-विरोधी और व्यापक क्रोध ने भाजपा को मजबूत स्थिति में ला दिया है और पार्टी को एक प्रभावशाली जमीनी स्तर का समर्थन मिला।
सुरक्षा बलों ने चुनावों में धांधली करने तृणमूल गुंडों के प्रयासों को विफल कर दिया जिससे लोगो में आत्मविश्वास पैदा हुआ और वे बड़ी संख्या में मतदान करने बाहर आये। भारी मतदान प्रतिशत इस बात का प्रतीक हो सकता है कि डर के कारण मतदान नहीं करना चाह रहे लोग, जो तृणमूल चाहता था, खुलकर सामने आये और अपने विवेकानुसार वोट दिया।
मौन मतदाताओं के मन को पढ़ना शायद जल्दबाजी होगी। खास कर तब जब ममता बनर्जी स्वयं धमकी दे रही हो कि वह उनके विरोधियो को केंद्रीय सुरक्षा बलों के जाने के बाद “सबक” सिखाएगी।
बंगाल में एग्जिट पोल अधिकतम प्रामाणिक नहीं रहा है। तृणमूल समर्थक यदि जश्न की तैयारी कर रहे है तो उन्हें प्रतीक्षा करनी चाहिए क्यूंकि 2019 लोक सभा चुनाव के एग्जिट पोल में भाजपा को मात्र पांच सीट दिया गया था जबकि परिणाम उससे लगभग चार गुना ज्यादा आया।