पाकिस्तान की “चिंता” भारतीय मुस्लिम महिलाओं, ना की मलाला

मलाला यूसुफजई

आर कृष्णा दास

पाकिस्तान के एक प्रमुख समाचार पत्र ने मंगलवार को दो लेख प्रकाशित किए जो ध्यान आकर्षित करता है। एक लेख भारत में मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा का दावा करता है वही दूसरे ने रेखांकित किया कि कैसे मलाला यूसुफजई को अपने ही देश में तिरस्कृत किया गया था।

शैक्षिक कार्यकर्ता जियाउद्दीन यूसुफजई की 24 वर्षीय बेटी मलाला मानवाधिकार और लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करती रही हैं। 9 अक्टूबर 2012 को स्वात जिले में, यूसुफजई और दो अन्य लड़कियों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के बंदूकधारी ने उसकी सक्रियता के प्रतिशोध में हत्या के प्रयास में गोली मार दी थी। मलाला ने मौत और कट्टरपंथियों दोनों को हराया।

पंजाब पाठ्यचर्या और पाठ्यपुस्तक बोर्ड (पीसीटीबी) ने सोमवार को मलाला यूसुफजई की तस्वीर छापने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) द्वारा प्रकाशित ग्रेड 7 के लिए सामाजिक अध्ययन पुस्तक को जब्त कर लिया। पुस्तक के पृष्ठ ३३ पर कुछ महत्वपूर्ण हस्तियों के चित्र प्रकाशित किए गए थे जिनमें मुहम्मद अली जिन्ना, राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल, सर सैयद अहमद खान, लियाकत अली खान, परोपकारी अब्दुल सत्तार एधी, बेगम राणा लियाकत अली खान, मेजर अजीज भट्टी और सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसूफजई शामिल थे।

विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पहले से ही प्रसारित पुस्तकों के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियां शहर भर की दुकानों पर छापेमारी की मलाला की तस्वीर वाली पुस्तक की प्रतियां जब्त कर ली।  विरोध का मुख्य वजह था मलाला की तस्वीर सैन्य अधिकारी स्वर्गीय मेजर अजीज भट्टी के साथ क्यों छापी गयी।  

अखबार के उसी अंक के संपादकीय में भारत में मुस्लिम महिलाओं के बारे में चिंता जताई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ परिवार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि भाजपा शासन में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। यह लेख कुछ मुस्लिम महिलाओं को लेकर लिखा गया था जिनकी तस्वीरें एक अज्ञात समूह द्वारा गिटहब का उपयोग करके एक ऐप पर अपलोड की गयी – ‘सुल्ली डील’ के नाम से – रविवार, 4 जुलाई को। सुल्ला या सुल्ली एक अपमानजनक शब्द है।

ऐप तब सामने आया जब लोगों ने ट्विटर पर अपना ‘डील ऑफ द डे’ शेयर करना शुरू किया, लेकिन तब तक इसे गिटहब ने हटा दिया था। यह घटना उस होस्टिंग प्लेटफॉर्म पर हुई जबकि पाकिस्तानी मीडिया इसे लेकर नरेंद्र मोदी और संघ परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही हैं।

बिना किसी सार के भारत में मुसलमानों के लिए चिंता व्यक्त करने वाला पाकिस्तानी अखबार अपने ही देश में लड़कियों और महिलाओं की दुविधा को स्वीकार करने में विफल रहा। मलाला वाली घटना इसका एक उदाहरण है।

दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने मलाला की तस्वीर वाली किताबों को जब्त कर लिया, उस दिन पूरी दुनिया उनका जन्मदिन मना रही थी। उनका जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी प्रांत के स्वात जिले में हुआ था।

12 जुलाई पाकिस्तान की युवा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई के नाम समर्पित है। मलाला को तालिबान विद्रोहियों ने 2012 में स्कूल जाते समय गोली मार दी थी। बाद में, संयुक्त राष्ट्र ने युवा शिक्षा कार्यकर्ता के सम्मान में 12 जुलाई को विश्व मलाला दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन सभी से अपील करने के लिए मनाया जाता है कि वे अपने देश में हर बच्चे के लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करें।

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