एक पैसठ-वर्षीय महिला ने बिहार के एक गांव में १८ बच्चों को जन्म दिया।
आप भी सुनकर चौंक जायेंगे! लेकिन बिहार में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एन आर एच एम ) के आंकड़े ने इसे सिद्ध कर दिया।
मुज़फ़्फ़रपुर जिले के मुशहरी ब्लॉक के छोटे कोठिया गाँव की निवासी, 65 वर्षीय लीला देवी का सबसे छोटा बेटा 20 साल का है। एनआरएचएम के आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्होंने एक साल में 18 बच्चों को जन्म दिया है।
लीला देवी आश्चर्यचकित करने वाली अकेली नहीं हैं। मिशन योजना की ऐसी कई महिला लाभार्थी हैं जिनके एक वर्ष में 12 प्रसव हुए हैं ,इसी तरह शांति देवी को भी एक वर्ष में आठ बच्चे होने का कागजों में उल्लेख है ,और ये सभी महादलित समुदाय से हैं।
गाँव की महिलाओं, दाइयों और आशा कार्यकर्ताओं को एनआरएचएम प्रोत्साहन के तहत किये गए अनियमित भुगतान के 18 मामले सामने आए हैं। इस योजना के तहत, लाभार्थी महिला को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहन के रूप में 1400 रुपये मिलते हैं , जबकि दाई को 600 रुपये और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिलाओं को प्रसव कराने के लिए प्रेरित करने के लिए आशा कार्यकर्ता को 400 रुपये मिलते हैं।
महादलित महिलाओं के लिए दी गई प्रोत्साहन राशि के दुरुपयोग के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के संचालक सुशील कुमार को दोषी पाया गया है। वह गरीब महिलाओं के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत पेंशन की रसीदों पर उनके अंगूठे का निशान ले लेते थे।
सरकार ने इस मामले मे पूरे मुजफ्फरपुर जिले को जांच के दायरे मै लाने का फैसला किया है। स्वास्थ्य संचालक ने अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी है। राज्य की राजधानी से 80 किलोमीटर उत्तर में स्थित मुजफ्फरपुर के जिला मजिस्ट्रेट ने अतिरिक्त डीएम राजेश कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है और सोमवार तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया हैं।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि एनआरएचएम फंड के दुरुपयोग में दोषी पाए गए लोग जेल की सलाखों के पीछे होंगे।
2016 में एन आर एच एम में इसी तरह का घोटाला सामने आया था जब पड़ोसी सीतामढ़ी जिले के औराई ब्लॉक में 750 फर्जी लाभार्थी पाए गए थे। 2011 में भी तत्कालीन सिविल सर्जन और छह अन्य लोगों के खिलाफ भी एन आर एच एम के तहत 6.33 करोड़ रुपये ठगने के लिए चार्जशीट दायर की गई थी।