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नई दिल्ली, जुलाई 18
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचपी संदेश द्वारा राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के साथ-साथ एसीबी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) सीमांत कुमार सिंह की आलोचना करने वाली टिप्पणियों और आदेशों पर सोमवार को रोक लगा दी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की खंडपीठ ने एकल-न्यायाधीश को निर्देश और टिप्पणियों पर रोक लगाते हुए उनके समक्ष जमानत याचिका पर फैसला करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने मामले के लिए अप्रासंगिक माना।
उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया, “हम सेवा रिपोर्ट, बी सारांश रिपोर्ट, एसीबी पर टिप्पणियों आदि की मांग जैसी कार्यवाही पर रोक लगाते हैं। प्रथम दृष्टया, की गई टिप्पणियों का जमानत याचिका से कोई लेना-देना नहीं था। जमानत की कार्यवाही के दायरे में टिप्पणियां नहीं की गईं। एसीबी अधिकारी का आचरण जमानत याचिका से असंबंधित है। हम हाईकोर्ट को जमानत याचिका पर फैसला करने का निर्देश देते हैं।”
कोर्ट ने एसीबी और एडीजीपी के खिलाफ कार्यवाही पर भी रोक लगा दी और एसीबी के खिलाफ जस्टिस संदेश की टिप्पणी को हटाने की प्रार्थना पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है।
विवाद 4 जुलाई को शुरू हुआ, जब न्यायमूर्ति संदेश ने खुलासा किया कि उन्हें एसीबी सम्बंधित कुछ मामलों की कार्यवाही के लिए स्थानांतरण की धमकी मिली थी।