आर कृष्णा दास
जब तालिबान अधिग्रहण के लिए काबुल की ओर बढ़ रहा था तब कुछ अफगान पायलट लड़ाकू विमानों के साथ पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान भाग गए और शरण ले ली। अब वे एक राजनयिक दुविधा में फस गए हैं।
वर्तमान में तालिबान से छुपे हुए अफगान वायु सेना के पायलटों ने तालिबान के हाथों आसन्न मौत के डर की सम्भावना जताई है और संयुक्त राज्य अमेरिका से अनुरोध किया है कि “कृपया हमें पीछे मत छोड़ो”। यह अपील पायलटों ने एक अमेरिकी पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कही है।
सैकड़ों परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के साथ कई योग्य और प्रशिक्षित अफगान पायलट 46 अफगान वायु सेना के हेलीकॉप्टर और विमानों के साथ भाग गए थे। यह इस महीने की शुरुआत में अफगान सेना और सरकार के पतन और देश के अधिकांश हिस्से पर तालिबान के नियंत्रण से पहले हुआ।
अफगानिस्तान में अपने दो दशकों के कैंप के दौरान अमेरिका ने मुख्य रूप से देश की सेना को मजबूत करने अफगान वायु सेना को सशक्त करने पर ध्यान लगाया था। इसमें वायु सेना पर प्रशिक्षण, रखरखाव और दर्जनों हेलीकॉप्टरों और विमानों की आपूर्ति पर अरबों डॉलर खर्च किए। पायलट ने संयुक्त राज्य अमेरिका में मोंटेरे, कैलिफोर्निया और टेक्सास में रक्षा भाषा संस्थान में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया और अफगान वायु सेना में 15 वर्षों से अधिक समय तक सेवा की।
उज्बेकिस्तान तालिबान के अत्यधिक दबाव में है। तालिबान चाहता है वह देश से उच्च प्रशिक्षित अफगान पायलटों के समूह को निष्कासित करे जो दो सप्ताह पहले अफगान वायु सेना के हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज के साथ भाग गए थे। तालिबान के साथ अपने संबंधों में खटास के डर से उज्बेकिस्तान ने वाशिंगटन से पायलटों को किसी तीसरे देश में ले जाने के लिए शीघ्र कार्रवाई करने का आग्रह किया है। अधिकारियों ने पायलटों को आश्रय देने में कूटनीतिक बाधाओं का भी हवाला दिया है।
हवाई हमलों में उनकी भूमिका के कारण पायलट तालिबान के सबसे बड़े दुश्मनों में से हैं। अफगानिस्तान में लंबे संघर्ष के दौरान तालिबान को अधिकतम हताहत वायुसेना ने ही किया। तालिबान ने उज्बेकिस्तान से विमान भी अफगानिस्तान वापस करने का आह्वान किया है।
“मैं इस समय छिपा हुआ हूं। हम बाहर निकलने की उम्मीद कर रहे हैं। अगर हमें बचाया नहीं गया, तो तालिबान हमें मार डालेगा, ”पायलटों में से एक ने अमेरिका से गुहार लगाई।