क्या कर्मचारी बनेंगे एयर इंडिया के मालिक!
यदि कर्मचारियों का प्रयास सफल हो जाता है तो 90,000 करोड़ रुपये के ऋण वाली राष्ट्रीय उड्डयन कंपनी एयर इंडिया उन लोगों के द्वारा चलाई जाएगी जो एक समय वहां नौकरी करते था।
एयर इंडिया के निजीकरण की योजना अपने अंतिम पड़ाव पर है। एयर इंडिया की बिक्री के लिए बोलियां जमा करने की आज अंतिम तिथि थी और सरकार ने इसकी समय सीमा नहीं बढ़ाई है।
हालांकि, सरकार ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाने वालों के लिए इंटिमेशन डेट को पूर्व तारीख 29 दिसंबर से बढाकर 5 जनवरी कर दिया है। यह शॉर्टलिस्ट किए गए बोलीकर्ताओं की घोषणा करने की तारीख है। भौतिक बोलियां 29 दिसंबर तक होनी है।
सूत्रों के अनुसार “महाराजा” को खरीदने में टाटा समूह जिनसे एयर इंडिया बनाया था ने भी बोली लगाई है। इसके अलावा स्पाइस जेट और अमेरिका के नई यॉर्क की एक कंपनी ने भी प्रस्ताव दिया है।
सरकार लगभग दो वर्षो से एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर रही है और इसके लिए सरकार ने निविदा भी मंगाई थी।
एयर इंडिया के 209 कर्मचारियों का एक समूह एक निजी फाइनेंसर के साथ साझेदारी में इसके लिए बोली लगाई है। प्रत्येक कर्मचारी को इसके लिए 1 लाख रुपये का योगदान करने के लिए कहा गया है। इस बोली प्रक्रिया का नेतृत्व एयर इंडिया की वाणिज्यिक निदेशक मीनाक्षी मलिक कर रही हैं।
यदि ऐसा होता है, तो कर्मचारी कंपनी के 51 प्रतिशत हिस्से का नियंत्रण अपने पास रखेंगे और निजी निवेशक इस नई ईकाई में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेंगे। अभी एयर इंडिया में 14,000 कर्मचारी हैं, और यदि वे सभी एक-एक लाख रुपये का योगदान करते हैं, तो उनके पास एक बहुत बड़ी धनराशि हो सकती है।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव ने एक ट्वीट में कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण के लिए बहुत से प्रस्ताव आए है और प्रक्रिया अपने दूसरे चरण में पहुंच गयी है। योग्य कंपनी को जनवरी 5 , 2020 को सूचित किया जायेगा।