अटल सुरंग को बनने में और बीस साल लगते

विशेषज्ञों की यदि माने तो छह साल पहले जिस गति से अटल सुरंग का कार्य चल रहा था उससे परियोयना के पुरे होने में और बीस साल लगते।

2005 में, अटल सुरंग के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 900 करोड़ रुपये थी और अब जब यह परियोजना हाल ही में पूरी हुई, तो यह तीन गुना बढ़कर 3200 करोड़ रुपये की हो गई।

विशेषज्ञों के अनुसार अगर यह कार्य उसी गति से चल रहा होता तो सुरंग 2040 में पूरी होती।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मनाली में दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग – अटल सुरंग देश को समर्पित किया। हर मौसम की चुनौतियों से निपटने की क्षमता रखने के साथ 9.02 किलोमीटर लंबी यह सुरंग मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने इस परियोजना पर तेजी से कार्य किया और हर साल 1400 मीटर की गति से निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि यह परियोजना 6 वर्षों में पूर्ण की गई जबकि एक अनुमान के अनुसार इसे पूर्ण होने में 26 साल लगने वाले थे।

प्रधान मंत्री ने कहा कि अटल सुरंग की तरह, कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं का हश्र वैसा ही हुआ। “अटल जी ने 2002 में इस सुरंग के लिए नींव रखी थी।अटल जी की सरकार के बाद, काम इतना उपेक्षित हो गया था कि 2013-14 तक केवल 1300 मीटर यानी 1.5 किलोमीटर से कम सुरंग ही बनाई जा सकी थी।

भारी बर्फबारी की वजह से देश के बाकी हिस्से से घाटी का संपर्क हर साल लगभग 6 महीने के लिए कट जाता था। हिमालय के पीर पंजाल श्रेणी में बनाई गई इस सुरंग की समुद्र तल से ऊंचाई 3000 मीटर (10,000 फीट) है, और यह सुरंग सारी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।

सुरंग मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और इससे लगभग 4 से 5 घंटे की बचत होती है।

प्रधान मंत्री ने दक्षिण छोर से उत्तर छोर तक सुरंग में यात्रा की और आपातकालीन सुरंग का भी दौरा किया जो मुख्य सुरंग में ही बनाई गई है।

उन्होंने कहा कि अटल सुरंग हिमाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से के साथ-साथ नए बने केंद्र शासित प्रदेश लेह-लद्दाख के लिए एक जीवन रेखा बनने जा रही है और यह मनाली और केलांग के बीच की दूरी को 3-4 घंटे कम कर देगी।

उन्होंने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश और लेह-लद्दाख हमेशा देश के बाकी हिस्सों से जुड़े रहेंगे और इससे आर्थिक प्रगति में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि इससे किसानों, उद्यानकृषक और युवाओं की पहुंच राजधानी दिल्ली और अन्य बाजारों तक आसान हो जाएगी ।

सीमा के समीप सड़क परियोजनाएं सुरक्षा बलों को नियमित आपूर्ति पहुचाने के साथ साथ गश्त में भी मददगार साबित होगी।

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