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ढाका, मार्च २८
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जाने के एक दिन बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़क उठी और कट्टरपंथियों ने हिंदू मंदिरों सहित पूर्वी बांग्लादेश में एक ट्रेन पर हमला कर दिया।
मोदी बांग्लादेश की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने शुक्रवार को ढाका पहुंचे थे। वह सद्भावना के तौर पर अपने साथ 12 लाख कोरोना वैक्सीन भी ले गए थे, लेकिन कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन उनकी यात्रा का विरोध कर रहे थे।
वैसे इस यात्रा पर चीन बारीकी से नज़र रखा हुआ था क्यूंकि भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नज़दीकी उसे पसंद नहीं आ रहा था।
स्थानीय पुलिस और डॉक्टरों ने कहा है कि भारतीय नेता की यात्रा के खिलाफ इस्लामी समूहों द्वारा आयोजित प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के साथ झड़पों में शुक्रवार से कम से कम 11 प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। मोदी के जाने के बाद से हिंसा भड़की है, क्योंकि मौतों के बहाने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन रविवार को उतर आये और हिंसक प्रदर्शन किया।
हिंसा की विभिन्न घटनाओं में लगभग दो दर्जन लोग घायल हुए हैं। पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में रविवार को हिफाजत-ए-इस्लाम नामक संगठन से जुड़े कट्टरपंथियों ने पूर्वी जिले ब्राह्माणबरिया में एक ट्रेन पर हमला कर दिया। इसमें दस लोग घायल हुए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमलावरों ने ना केवल ट्रेन पर हमला किया बल्कि उसके इंजन रूम सहित सभी कोच को क्षतिग्रस्त कर दिया।’
ब्राह्माणबरिया में ही रहने वाले एक पत्रकार जावेद रहीम ने कहा कि विभिन्न सरकारी आफिसों को आग के हवाले करने के साथ ही उपद्रवियों ने प्रेस क्लब पर हमला किया गया था, जिसमें प्रेस क्लब अध्यक्ष सहित कई घायल हो गए।
कई हिंदू मंदिरों पर भी हमला किया गया है। कट्टरपंथियों ने देश के पश्चिमी जिले राजशाही में भी दो बसों को आग के हवाले कर दिया।
ढाका के नजदीक नारायणगंज में प्रदर्शनकारियों ने लकड़ी और रेत के जरिये रास्ता रोकने की कोशिश की तो जवाब में पुलिस ने रबर की गोली और आसूं गैस के गोले दागे। जिसमें एक दर्जन लोग जख्मी हुए हैं। हिफाजत-ए-इस्लाम के संगठन मंत्री अजीजुल हक शनिवार को चटंगाव में आयोजित एक रैली में कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने गोलियां चलाई है। “हम अपने भाइयों का खून व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”