गनी के बाद पाक के निशाने पर शेख हसीना

बांग्लादेश में दुर्गा पंडाल पर हुए आक्रमण का फाइल चित्र

जय प्रकाश पाराशर

जिस दिन अफगानिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए और तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के लिए 15 अगस्त का दिन चुना, भारत में तालिबान समर्थक कट्टरपंथियों ने उन्हें फ्रीडम फाइटर्स कहना शुरू कर दिया था,

बंगलादेश में शेख हसीना को उसी दिन समझ जाना चाहिए था कि अब पाकिस्तान से संचालित इस्लामिस्ट आतंकवाद और चरमपंथ उन्हें उखाड़ने आएगा. बंगलादेश की आर्थिक प्रगति और भारत से निकट संबंध पाकिस्तान के मिलिट्री-एस्टाब्लिशमेंट को असहज बनाते हैं.

चीन और पाक फौज के सबसे बड़े एजेंडे डेढ़ दशक से यही हैं कि भारत के पड़ोसी देशों से भारत समर्थक शासन तंत्रों को उखाड़ा जाए. चीन यह काम माओवादियों के जरिए करता है और पाकिस्तान इस्लामिस्ट आतंकवाद व चरमपंथ के माध्यम से अपने लक्ष्य हासिल करता है.आपस में दोनों में यह समझदारी है कि दीर्घकाल में भूसामरिक हितों के लिए भारत को अलग-थलग और कमजोर किया जाए.


चीन ने नेपाल में माओवादियों के जरिए तकरीबन आधे से ज्यादा देश को भारत के विरोध में खड़ा कर दिया, क्योंकि वहां इस्लामिस्ट फार्मूला नहीं चल सकता था.श्रीलंका में चीन ने आर्थिक टूल का इस्तेमाल करके भारत को बाहर करने की कोशिश की.
अफगानिस्तान में लक्ष्य पूरा होने के बाद पाकिस्तान के लिए बंगलादेश शीर्ष पर है.पाकिस्तान का एक अचूक हथियार है,

इस्लामिस्ट आतंकी और चरमपंथी संगठनों के जरिए समाज को रैडिकलाइज करना. यह काम वे लंबे समय तक धैर्यपूर्वक करते हैं और अनुकूल परिस्थितियां बनने तक इंतजार करते हैं. वे आश्वस्त होते हैं कि एक दिन यह रणनीति काम करने वाली है.अशरफ गनी कई साल से आईएसआई को खटक रहे थे, जब वे पाकिस्तान के खिलाफ बोलने लगे थे. अमरुल्ला सालेह ने तो पाकिस्तान को हीरा मंडी तक कह डाला था. उन्हें उखाड़ने के लिए पाकिस्तान की फौज कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी. दुनिया की परवाह किए बिना फैज हमीद ने यह कर डाला.अपनी शर्मिंदगी से पीछा छुड़ाने के लिए बंगलादेश को आर्थिक रूप से तबाह करना उनका लक्ष्य है.

इसके लिए उनका अगला निशाना शेख हसीना है. हसीना ने शुरू से गलती यह की है कि इस्लामिस्ट चरमपंथियों से टकराव को टालने के लिए उनकी गतिविधियोंं को अनदेखा किया, जबकि उन संगठनों का बड़ा हिस्सा प्रो-पाकिस्तान रहा है. घरेलू राजनीति के हिसाब से भी देखा जाए तो वह शेख हसीना के अनुकूल नहीं होने वाला था.

लेकिन हम जैसा अफगानिस्तान में देख चुके हैं कि पूरी प्रक्रिया इतनी धीमी गति से दबे पांव होती है कि एक दिन अचानक बड़ी घटना सामने आती है. यह एक स्क्रिप्ट का हिस्सा है कि आप एक बड़े तबके को ब्रेनवाश करके अपने कब्जे में लाते रहें और अचानक पूरी व्यवस्था पर हल्ला बोल दें, जिसके निर्णायक होने का आपको यकीन हो.पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेंट में यदि मीडिया को भी शामिल कर लिया जाए तो हम पाते हैं कि वे नियाजी के आत्मसमर्पण की घटना और तस्वीर से जबर्दस्त आहत हैं.

यह बात उनकी बर्दाश्त के बाहर है कि बंगलादेश उनसे अलग होकर ज्यादा तेज रफ्तार से प्रगति कर रहा है और वे पिछड़ते जा रहे हैं. पाकिस्तानी मीडिया पर आप शेख हसीना के लिए जिस तरह की अपमानजनक भाषा का प्रयोग सुनते हैं, वह बताता है कि वे बंगलादेश में भारत समर्थकों का सफाया करना चाहते हैं.इस्कॉन पर हमले भी पाकिस्तान समर्थित बड़ी योजना का एक हिस्सा है, जो न केवल भारत समर्थक सरकारों को खत्म करना चाहती है, बल्कि कश्मीर, बंगलादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के सफाये को अपने राजनीतिक लक्ष्य की तरह देखती है.

पाक फौज और आईएसआई भारत की हिंदू नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार को संदेश भेजना चाहती है कि हम हिंदुओं को जहां चाहें मार सकते हैं, यह उनकी पहुंच को स्थापित करने का तरीका है, ताकि भारत सरकार को मजबूर करके बातचीत की टेबल पर लाया जा सके, जहां पाकिस्तान यह बता सके कि वह बराबरी का देश है. 

(लेखक मध्य भारत के वरिष्ठ पत्रकार है)

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