पश्चिम बंगाल सरकार के अड़ियल रवैया के कारण राज्य के लगभग 70 लाख से अधिक किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल सका।
इस योजना के तहत आज देश में 9 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे 18000 करोड़ रुपये जमा किए गए। यह योजना के तहत जारी की गई अगली किस्त की राशि थी।
प्रधानमंत्री ने खेद व्यक्त करते हुआ कहा कि पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसानों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि बंगाल के 23 लाख से अधिक किसानों ने इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है लेकिन राज्य सरकार द्वारा सत्यापन प्रक्रिया को काफी लंबे समय के लिए रोक दिया ।
उन्होंने पश्चिम बंगाल में किसानों के हित में नहीं बोलने वाली पार्टियों को संकेत देते हुए कहा कि आज ये पार्टियाँ दिल्ली आकर किसानों की बात कर रही है। ये पार्टियां आजकल एपीएमसी-मंडियों को याद कर रही हैं, लेकिन ये पार्टियां बार-बार यह भूल जाती हैं कि केरल में एपीएमसी-मंडियां नहीं हैं और लेकिन ये लोग कभी केरल में आंदोलन नहीं करते।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए नए बाजारों की सुविधा दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की एक हजार से अधिक कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा है। जिनसे एक लाख करोड़ से अधिक का कारोबार किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने छोटे किसानों के समूह बनाने की दिशा में काम किया है ताकि वे अपने क्षेत्र में एक सामूहिक शक्ति के रूप में काम कर सकें। आज देश में 10000 से अधिक किसान निर्माता संगठनों – एफपीओ के गठन के लिए एक अभियान चल रहा है, और उन्हें वित्तीय मदद दी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन कृषि सुधारों के माध्यम से किसानों को बेहतर विकल्प प्रदान किए गए। इन कानूनों के बाद किसान अपनी उपज को अपनी इच्छानुसार बेच सकते हैं। वे जहां भी उचित मूल्य प्राप्त करते हैं, अपनी उपज बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के बाद, किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकते हैं या इसे बाजार में बेच या निर्यात कर सकते हैं या व्यापारी को बेच सकते हैं, या इसे दूसरे राज्य में बेच सकते हैं। वे इसे एफपीओ के माध्यम से बेच सकते हैं या बिस्कुट, चिप्स, जाम, अन्य उपभोक्ता उत्पाद के रूप में बेच सकते हैं।