लव कुमार मिश्रा
पटना, दिसंबर 16
कांग्रेस की बिहार इकाई राज्य में शराबबंदी के मुद्दे को लेकर दो भागों में बंटी हुई नजर आ रही है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य में शराबबंदी को वापस लेने के लिए कहा, लेकिन उनकी पार्टी के ही सहयोगी और कटिहार के वरिष्ठ विधायक शकील अहमद खान ने इस्लाम में शराब को “हराम” बताते हुए शराब विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग की।
अजीत कुमार शर्मा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में शराबबंदी को खत्म करने , शराब की कीमतें बढ़ाने और उद्योगों की स्थापना के लिए उत्पाद शुल्क के जरिए अर्जित राजस्व का उपयोग करने का सुझाव दिया।
शर्मा ने कहा कि 2015 में शराबबंदी लागू होने के बाद से ही राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। जबकि राज्य में शराब अवैध रूप में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि अवैध रूप से देश के अन्य हिस्सों से आने वाली शराब की कालाबाजारी के कारण सरकार को और अधिक नुकसान हो रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि शराब पर प्रतिबंध के कारण शराब माफिया को फायदा हुआ और शराब के काले कारोबार को बढ़ावा मिला। शराब का सेवन करने से कई लोगों की मौत हो गई है, शर्मा ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि जब उन्होंने शराबबंदी लागू की थी, कांग्रेस उनके (नीतीश कुमार) नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा थी। लेकिन अब ये देखा जा रहा है कि प्रतिबंध सफल नहीं हुआ क्योंकि शराब की होम डिलीवरी चालू है।
उन्होंने राज्य सरकार से शराबबंदी को तत्काल हटाने की मांग की। यह पहली बार है कि कांग्रेस शराबबंदी के खिलाफ सामने आई है।
हालांकि, शकील अहमद खान ने अपनी पार्टी के नेता का विरोध किया और कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री को भेजे गए अपने पत्र को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस्लाम में शराब का सेवन निषिद्ध है। खान ने कहा कि मुख्यमंत्री को शराबबंदी कानून पर सख्त होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसके प्रावधानों को और सख्ती से लागू किया जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, जो बिहार में एन डी ए के सहयोगी, हम(स) के प्रमुख हैं, ने भी शराबबंदी कानूनों में छूट का समर्थन किया। उन्होंने शराबबंदी कानून में उल्लंघन के लिए गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को रिहा करने की मांग की। मांझी ने कहा कि शराबबंदी कानून के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में लिए गए या जेल में बंद अधिकांश लोग गरीब और दलित हैं।