सीनियर पत्रकार लव कुमार मिश्रा 18 मार्च 1974 की घटना की चर्चा करते हुए कहते हैं कि बिहार विधानसभा का बजट सत्र का पहला दिन था। तत्कालीन राज्यपाल आर डी भंडारी का दोनों सदनों में संयुक्त अभिभाषण होना था।
इधर, छात्र संघर्ष समिति ने विधान सभा के घेराव का भी नोटिश दे रखा था। सरकार ने इसको लेकर विधानसभा को चारों तरफ से बांस बल्ले से बेरिकेटिंग करा रखी थी, ताकि आनंदोलकारी विधानसभा के अंदर नहीं प्रवेश कर सकें। दूसरी ओर महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर बड़ी संख्या में छात्र विधानसभा के पास अपना विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे। वे वहां पर हंगामा कर रहे थे।
इसी बीच जैसे ही दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेश को संबोधित करने राज्यपाल विधानसभा पहुंचे छात्रों ने अपना हंगामा तेज कर दिया। उनके काफिले को रोक दिया गया। किसी प्रकार पुलिस की मदद से उन्हें विधानसभा के संयुक्त अधिवेशन के लिए ले जाया गया।
लेकिन, छात्रों का आंदोलन रुका नहीं और तेज हो गया। हंगामा कर रहे छात्रों को गिरफ्तारी के बाद जेल ले जाने के लिए खड़ी बसों को उन लोगों ने कब्जा कर लिया और बेरिकेटिंग को तोड़ते हुए बसों को लेकर विधान सभा में प्रवेश कर गए। इसके बाद विधान सभा में हंगामा इतना ज्यादा बढ़ गया था कि सदन की कार्रवाई में शामिल होने आए विधायक और मंत्री इधर-उधर भागने लगे।
लव कुमार मिश्रा कहते हैं कि आंदोलन कितना उग्र रहा होगा इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आंदोलनकारियों के भय से तत्कालीन वित्त मंत्री दारोगा प्रसाद राय अपने को विधानसभा के बाथरूम में लॉक कर लिया था। विधान सभाध्यक्ष ने कुछ दिनों के लिए सदन को स्थगित कर दिया था, लेकिन उन्होंने विधानसभा में पुलिस को नहीं बुलाया था।