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शून्य से कम तापमान में बर्फ के अंदर पाँव, हाथ में राइफल और गले में स्टेथोस्कोप, ये हैं बॉर्डर पर तैनात कैप्टन दीपशिखा छेत्री की पहचान।
कैप्टन दीपशिखा छेत्री सिक्किम की रहने वाली हैं और राज्य से दूसरी लेडी ऑफिसर हैं जिन्हें सेना में कमीशन मिला है। डॉक्टर दीपशिखा ने आर्मी मेडिकल एग्जाम में पूरे देश में छठा स्थान हासिल की। इसके साथ ही उन्हें सेना की मेडिकल परीक्षा में शामिल महिला उम्मीदवारों में दूसरी स्थान मिली है.
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा कि कैप्टन दीपशिखा छेत्री और उनके माता-पिता के अलावा पूरे राज्य के लिए गौरवशाली पल है.
कैप्टन दीपशिखा के पिता राजेंद्र छेत्री और मां बिंदु छेत्री को अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है। कैप्टन दीपशिखा ने सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस की परीक्षा में टॉप किया है। कैप्टन दीपशिखा अगले आठ माह तक फ्रंटलाइन पर तैनात रहेगी। वो न सिर्फ एक डॉक्टर बल्कि एक सैनिक की ड्यूटी भी पूरी करेंगी। निश्चित तौर पर ये न सिर्फ कैप्टन दीपशिखा बल्कि देश की हर उस युवा लड़की के लिए प्रेरणा है जो कुछ अलग करने का सपना देखती हैं।
पिछले कुछ दिनों भारतीय सेनाओं की तरफ से महिला अधिकारियों के लिए कई अच्छी खबरें आई हैं। भारतीय सेना में अब उन्हें भी स्थायी कमीशन मिलने लगा है। पिछले वर्ष सेना की तरफ से महिला सैनिकों को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) के करीब तैनात कर इतिहास रचा गया।
सेना ने कैप्टन डॉक्टर दीपशिखा छेत्री को फ्रंट लाइन पर तैनात करके सेना ने एक और मील का पत्थर कायम किया है।