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आर कृष्णा दास
रायपुर, 13 मई
नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था; हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले छत्तीसगढ़ सरकार के पायलटों ने संकटकालीन कॉल दिया था लेकिन जल्द ही उसे वापस ले लिया।
दुर्घटना में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर का संचालन कर रहे कैप्टन गोपाल कृष्ण पांडा और कैप्टन एपी श्रीवास्तव की मौत हो गई।
विमान दुर्घटनाओं की जांच के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन सर्वोच्च निकाय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) के जांचकर्ताओं की एक टीम आज सुबह नई दिल्ली से रायपुर पहुंची। उन्हें नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकारी जांच में सहयोग करेंगे।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हेलीकॉप्टर में अचानक तकनीकी खराबी आई जिससे पायलटों को कुछ करने का मौका ही नहीं मिला। हेलीकॉप्टर एक प्रशिक्षण उड़ान पर था; कथित तौर पर हवाई अड्डे के चक्कर लगाने से पहले सर्किट लैंडिंग के लिए जा रहा था।
सर्किट प्रशिक्षण व्यावहारिक पायलट प्रशिक्षण का पहला चरण है जो टेक-ऑफ और लैंडिंग पर केंद्रित है। इसमें पायलट को रनवे तक पहुंचना, नीचे छूना और फिर से टेक ऑफ करने के लिए पावर लगाना शामिल है।
अभ्यास के दौरान, पायलटों ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) रायपुर को एक संकटकालीन कॉल दी और “प्राथमिकता लैंडिंग” का अनुरोध किया क्यूंकि हेलीकप्टर में कुछ तकनीकी समस्या आ गई थी। संकेत मिलते ही एयरपोर्ट पर आपातकालीन सेवाएं सक्रिय कर दी गईं। हेलीकाप्टर ने लैंडिंग के लिए ” अप्रोच” किया लेकिन उतरा नहीं और “गो-अराउंड” के लिए उड़ गया।
पायलटों ने एटीसी को सूचित किया कि तकनीकी समस्या का समाधान कर लिया गया है और वे उड़ान के साथ सहज हैं। एक सर्किट लेने के बाद, हेलीकॉप्टर ने फिर से “अप्रोच” किया लेकिन चालक दल इस बार भाग्यशाली नहीं था। लैंडिंग से कुछ ही मिनट पहले अचानक ऐसी समस्या आई जिसे पायलटों को नियंत्रित करने का कोई मौका नहीं मिला।
चूंकि हवाई अड्डे की आपातकालीन सेवाएं सक्रिय थीं और कुछ ही मिनटों में दुर्घटनास्थल पर पहुंच गईं। दमकलकर्मी भी अलर्ट पर थे, इसलिए हेलीकॉप्टर में आग नहीं लग सका।
लेकिन हादसा इतना भयंकर था कि स्थल पर मौजूद मेडिकल टीम दोनों पायलटों को नहीं बचा सकी।