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रायपुर, जून 9
पावरग्रिड ने भारत के पहले वीएससी आधारित एचवीडीसी सिस्टम की पूर्ण रूप से स्थापना कर दी है जिससे अब छत्तीसगढ़ में उत्पादित बिजली को सीधे केरल तक पहुंचाया जा सकता है वह भी आधुनिक वितरण प्रणाली के द्वारा।
विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन आने वाली महारत्न सीपीएसयू पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) ने ±320 केवी, 2000 मेगा वाट (एमडब्ल्यू), पुगलूर (तमिलनाडु) – थ्रिस्सूर (केरल) वोल्टेज सोर्स कन्वर्टर (वीएससी) आधारित हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) सिस्टम के मोनोपोल-1 को कल स्थापित कर दिया है।
इस परियोजना से देश के दक्षिणी क्षेत्र की विद्युत प्रणाली मजबूत हो जाएगी। पिछले वर्ष सितम्बर में 6,000 मेगावाट की क्षमता वाली परियोजना का प्रथम चरण चालू किया गया था जिससे (छत्तीसगढ़) और पुगलुर (तमिलनाडु) के बीच 1500 मेगावाट विद्युत प्रवाह को सुगम बना। पहले चरण की 1765 किलोमीटर लंबी एचवीडीसी लाइन दुनिया की सबसे लंबी विद्युत पारेषण लाइन थी।
फरवरी 19, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परियोजना के मोनोपोल-2 का शुभारम्भ किया था और मोनोपोल-1 की स्थापना के साथ इस परियोजना ने अपनी पूरी क्षमता हासिल कर ली है। इससे पुगलूर (तमिलनाडु) से थ्रिस्सूर (केरल) तक एचवीडीसी लाइन का विस्तार कर दिया गया है।
5,070 करोड़ रुपये की पुगलूर-थ्रिस्सूर एचवीडीसी सिस्टम, रायगढ़-पुगलूर-थ्रिस्सूर 6000 एमडब्ल्यू एचवीडीसी सिस्टम का हिस्सा है और यह थ्रिस्सूर स्थित वीएससी एचवीडीसी स्टेशन के माध्यम से केरल को 2000 एमडब्ल्यू के हस्तांतरण में सक्षम बनाता है।
पावरग्रिड द्वारा इस परियोजना के लिए पहली बार इस अत्याधुनिक वीएससी तकनीक को पहली बार भारत में लाया गया था। वीएससी तकनीक से पारम्परिक एचवीडीसी सिस्टम की तुलना में भूमि की आवश्यकता खासी घट जाती है और यह ऐसे क्षेत्रों के लिए खासी अनुकूल है, जहां जमीन की खासी कमी है। यह स्मार्ट ग्रिड के विकास को भी सरल बनाता है और विभिन्न परिचालन स्थितियों में सिस्टम के लचीलेपन में सुधार करता है। इस परियोजना की एक खास विशेषता ओवरहेड लाइन और अंडग्राउंड केबिल का संयोजन है, जो केरल में पारेषण कॉरिडोर की सीमित उपलब्धता का हल निकालती है।
इंटरफेस ट्रांसफॉर्मर जैसे बड़े एचवीडीसी उपकरण और आईजीबीटी-आधारित पावर कन्वर्टर, गैस इंसुलेटेड सब-स्टेशन जैसे एसी उपकरण, स्विचगियर, कंट्रोल और रिले पैनलों की आपूर्ति भारत स्थित कारखानों द्वारा की गई है। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को व्यापक प्रोत्साहन दिया गया है। इस वीएससी परियोजना के लिए डिजाइन, इंजीनियरिंग, टेस्टिंग और स्थापना का एक प्रमुख भाग भारत में ही पूरा किया गया है, जो प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” विजन के अनूरूप है।