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रायपुर, 22 अगस्त
छत्तीसगढ़ सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपनी दो सूत्रीय मांगों के समर्थन में आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले हड़ताल का आह्वान किया गया है। कर्मचारी केंद्र सरकार के बराबर 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता और सातवें वेतनमान की मांग कर रहे हैं। फिलहाल उन्हें 22 फीसदी डीए मिल रहा है।
इससे पहले कर्मचारियों ने 25 जुलाई से पांच दिवसीय हड़ताल की थी। मांगों के पूरा नहीं होने पर फेडरेशन ने अगस्त 22 से अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया था।
मंत्रालय के कर्मचारियों ने आंदोलन में भाग नहीं लिया लेकिन न्यायपालिका और तहसील के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। फेडरेशन के नेताओं ने दावा किया कि करीब 95 फीसदी सरकारी कर्मचारी और अधिकारी आज से हड़ताल पर हैं। विशेष रूप से राजस्व विभाग में आधिकारिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक आंदोलन है क्योंकि आंदोलन के तीसरे चरण में कार्यालय पूरी तरह से बंद रहे।” उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों का आंदोलन देश भर के कर्मचारी संघों के बीच चर्चा का विषय है। वर्मा ने कहा कि फेडरेशन के पदाधिकारियों को बुलाने के बजाय दूसरे गुट से बातचीत की गई।
अगर सरकार ने दूसरे समूह के साथ चर्चा के बाद 12 प्रतिशत डीए की घोषणा की होती तो भी फेडरेशन इसका सम्मान करता और आंदोलन पर नहीं जाता।
कर्मचारी आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार आवश्यक कदम उठा रही है। लिपिक कर्मचारी संघ और शिक्षक संघ सहित कुछ समूह हड़ताल से अलग हो गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़े रुख का संकेत दिया और कहा कि सरकार किसी भी तरह के “सौदेबाजी” नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि एक समूह के साथ चर्चा के दौरान सरकार पहले ही छह प्रतिशत डीए की घोषणा कर चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने कर्मचारियों के हित में कई फैसले लिए हैं जिनमें पुरानी पेंशन योजना, आधा बिजली बिल, राशन और पांच दिन काम करना शामिल है।’
भूपेश ने कहा फिर भी यदि कर्मचारी हड़ताल करना चाहते हैं तो उनकी इच्छा, सरकार अपना काम करेगी।
आंदोलन से उत्पन्न किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए राज्य की राजधानी में अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। कर्मचारी नेताओं ने सतर्कता बरतने को कहा है।
इंद्रावती भवन के बाहर तैनात पुलिस कर्मियों को उस समय अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा जब आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने “पुलिस प्रशासन ज़िंदाबाद” के नारे लगाना शुरू कर दिया।
एक नेता ने कहा कि पुलिस वाले कठोर नहीं होंगे क्यूंकि वे भी आखिर डीए के हकदार हैं।