न्यूज़ रिवेटिंग
रायपुर, जुलाई 30
छत्तीसगढ़ सरकार ने पांच दिन से हड़ताल पर बैठे पांच लाख कर्मचारियों का वेतन काटने और कार्रवाई करने को लेकर शुक्रवार को आदेश जारी कर दिया।
शुक्रवार को हड़ताल का आखरी दिन था। कर्मियों की मांग है कि उन्हें केंद्र सरकार के समान 34 फीसद महंगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता व सातवां वेतनमान दिया जाए। वेतन कटौती और कार्रवाई के बात से कर्मचारी सदमा में आ गए, ऐसे
बिलकुल नहीं हैं। यह उनके लिए अप्रत्याशित नहीं था क्योंकि अप्रैल 2006 के आदेशानुसार कार्रवाई तय थी। लेकिन आश्चर्य इस बात का हैं कि सरकार के इस बाबत आदेश जारी करने के लिए आखिरी दिन ही क्यों चुना?
जब कर्मचारियों ने हड़ताल कि सूचना एक माह पहले ही दे दी थी तो उस समय कार्रवाई का आदेश क्यों नहीं जारी किया गया? बताया जा रहा हैं कि कर्मचारी अपना आंदोलन का विस्तार करने वाले हैं जिससे सरकार में हड़कंप मच गया। कर्मचारी 15 अगस्त के बाद कभी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।
रविवार को होने वाली महत्पूर्ण बैठक में इस पर आखिरी निर्णय लिया जाएगा। सरकार चाहती हैं आंदोलन आगे न बढ़े और संभवता कल जारी आदेश को एक अस्त्र के रूप में उपयोग करना चाहती हैं। कर्मचारियों से अगर बातचीत होती हैं तो सरकार इस आदेश को निरस्त करने पर दांव लगा सकती हैं।
यदि आंदोलन का विस्तार होता हैं तो शायद सरकार के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
कर्मचारी नेताओं का मानना है कि आंदोलन के दौरान कर्मचारियों से संवाद करने की बजाय सरकार वेतन काटने का आदेश जारी कर रही है। यह एक तरह से कर्मचारियों-अधिकारियों से वार्ता के मार्ग को बाधित करने जैसा है। इससे कर्मचारियों में और आक्रोश बढ़ेगा।
हड़ताल पांच दिन की थी लेकिन शनिवार और रविवार के कारण नौ दिन की हो गई है। इससे सरकार के खजाने और कामकाम पर विपरीत असर पड़ा है।
कर्मचारी नेताओं के अनुसार हड़ताल के कारण करीब 12 सौ करोड़ से अधिक का राजस्व प्रभावित हुआ है। वहीं, जिलों से लेकर मंत्रालय तक करीब 25 हजार से ज्यादा फाइलें थम गई हैं।