न्यूज़ रिवेटिंग
पटना, अगस्त 14
पटना उच्च न्यायालय में वरिष्ठ महिला अधिवक्ता और एडवोकेट्स एसोसिएशन की उपाध्यक्ष श्रीमती छाया मिश्र छाया मिश्र ने बताया की भारतीय न्याय संहिता के ८० धारा को लागू होने से लिव-इन रिलेशनशिप और लव जेहाद पर नियंत्रण संभव होगा क्योंकि इसमें विवाहेत्तर संबंध( को-हैबिटेशन) को अपराध माना गया है और पुरुष को दस साल की कैद का दंड प्रावधान किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जिसे, लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रस्तुत किया है, पौने दो साल पुरानी आईपीसी और ५० साल पुरानी सीआरपीसी को समाप्त कर नया कानून बनाना है।
श्रीमती छाया मिश्र ने आज बताया की आईपीसी की ३५६ धारा के बदले न्याय संहिता, जो आधुनिक भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया है, में ३५६ खंड होंगे नए कानून में छोटी छोटी अपराधों के लिए दंड के स्थान पर सुधारात्मक उपाय के प्रावधान है,अब इन अपराधों में दंडित लोगो को सामाजिक सेवा करना पड़ेगा, यथा रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड की सफाई,थाना में चार पालियों में सफाई और सेवा करना, ट्रैफिक पोस्ट पर पुलिस को मदद करना होगा, इससे जेल में बंदियों की संख्या भी घटेगी प्रस्तावित संहिता में महिलाओं और बच्ची बालको के प्रति बढ़ रहे अपराध पर नियंत्रण और डेड के लिए कड़े नियम होंगे,जस्टिस वर्मा आयोग द्वारा दिए गए सुझाव को ध्यान में रखते हुए,नाबालिग पर यौन शोषण के लिए मृत्यु दण्ड दिया जाएगा,सात और बारह वर्ष के उम्र वाले द्वारा किया गया कोई अपराध नहीं माना जायेगा।
संहिता के ३५२ खंड में एक प्रावधान है जिसके अनुसार भगवान या डिवाइन पावर का भय दिखाना अब अपराध है,कई साधु और मुजावर इस तरह का भय दिखा कर लोगों को दोहन करते हैं। नए प्रस्तावित संहिता के अनुसार प्रकृति के दोहन पर भी रोक लगेगी,पानी के विभिन्न स्रोत जिसमे तालाब झील भी शामिल हैं गंदा करना अथवा गंदगी फैलाने पर,स्वच्छता खत्म करने पर छह महीने का जेल होगा।
संहिता के खंड २९४ भी आधुनिक भारतीय जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है,लोग शादी ब्याह जैसे अवसर पर तेज गाना गाते हैं,अब यह अपराध होगा जिसके लिए तीन महीने का कारावास होगा। आज कल धार्मिक स्थल पर आक्रमण होते हैं, प्रतीक पर नुकसान किया जाता है,अब ऐसा करने पर दो साल का कारावास होगा।
चैन स्नैचिंग जैसे अपराध जिसमे पांच हजार से कम के समान का चोरी हुआ हो, के अपराधी को अब जेल नही होगा, उसे समाज में सेवा करनी होगी। खाद्य और पेय पदार्थों में मिलावट के लिए छह महीने का कारावास होगा।
तीन साल पहले कोरोना काल में लोग क्वारंटाइन सेंटर से भाग जाते थे,अब ऐसा किया तो छह महीने का जेल होना तय है। भ्रूण हत्या,नवजात को फेंक देना अब दंडनीय अपराध होगा और दो वर्ष का जेल ऐसे अपराध के लिए प्रस्तावित है। मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में बलात्कार की घटनाएं हुई।अब नए कानून के अनुसार, रिमांड होने,बाल गृह,पुलिस चौकी में ऐसी घटना हुई तो संबंधित प्रभारी को छह महीने का जेल होगा।
कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल पर अधिकारी प्रताड़ित करते हैं,प्रमोशन नही देते है,अब ऐसे अधिकारी भी तीन साल की कारावास के पात्र होंगे। खंड ८७ के अनुसार जबरन गर्भपात की सजा सात साल को होगी आईपीसी की धारा ३०९ समाप्त हुई और अब आत्महत्या के प्रयास को अपराध की श्रेणी से विमुक्त कर दिया गया है।
देश में तकनीकी का विकास हुआ है,इसका उपयोग अब त्वरित न्याय के लिए होगा,कोर्ट और कारावास में वीडियो के द्वारा संबंध होगा,सुनवाई होगी और न्याय होगा,केस के फाइल होने और निर्णय के बीच तीन साल का समय दिया गया है।