चीन विवाद पैदा कर सेना वापसी की प्रक्रिया रोकना चहाता है

आर कृष्ण दास

जैसा की कई रक्षा विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की थी , चीन सीमा मुद्दों को हल करने को लेकर भारत के साथ चल रहे सैन्य स्तर की वार्ता की सफतला पर संदेह व्यक्त कर रहा है।

विस्तारवादी चीन के हठी रवैये की वजह से पिछले 9 महीनों से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में जबरदस्त सैन्य तनाव रहा। यहां तक कि एशिया के इन दो ताकतवर देशों के बीच युद्ध तक की नौबत आ गई थी। शातिर चीन पीछे हटने को तैयार नहीं था। फिर कुछ ऐसा हुआ, जिससे उसकी सारी हेकड़ी निकल गई। आखिरकार उसे डिसइंगेजमेंट (सेना की वापसी) के लिए राजी होना पड़ा।

लद्दाख में पैंगॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर चीनी और भारतीय सीमावर्ती सैनिकों ने 10 फरवरी को वापसी की प्रक्रिया शुरू की। यह कदम जून, 2020 में सीमा संघर्ष के बाद शुरू हुई चीन-भारत वाहिनी कमांडर-स्तरीय बैठक के 9 वें दौर में दोनों पक्षों की सहमति के अनुसार था।

1962 के युद्ध के बाद से भारत और चीन अपने सबसे खराब सीमा तनाव में फंस गए, इसके लगभग नौ महीने बाद, दोनों पक्षों ने लद्दाख में पैंगोंग त्सो के दक्षिणी और उत्तरी तट से चरणबद्ध विस्थापन शुरू किया। लेकिन कई रक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि पिछले अनुभव को देखते हुए चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है? अधिकांश रक्षा विशेषज्ञों ने प्रक्रिया को “सतर्क आशावाद” कहा।

कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के आखिरी दौर के लगभग दो महीने बाद, चीनी और भारतीय आतंकवादियों ने शुक्रवार को 11 वें दौर की बैठक की। चीन सरकार के स्वामित्व वाले समाचार पत्र ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की और संकेत दिया की उसकी नियत ठीक नहीं है। वैसे भारत के शक्तिशाली शासक ने उचाईयो पर तैनात सैनिको को नहीं हटाया है जिस पर चीन ने आपत्ति दर्ज किया है।

चीन के अख़बार ने संकेत दिया कि आने वाले दौर की बैठक सामान्य नहीं होगी। चीनी विशेषज्ञों ने रविवार को कहा 11 वें दौर की बैठक पिछले दौर के विपरीत है और इसे ध्यान में रखते हुए कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया। यहाँ तक चीन से बयान पीएलए पश्चिमी थियेटर कमान द्वारा जारी किया गया जबकि पिछली बैठकों का बयां चीनी रक्षा मंत्रालय ने जारी था जो संकेत हैं कि शेष मुद्दों को हल करना दोनों पक्षों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।

पिछले दौर की बैठकों की तुलना में, 11 वें दौर में दो नए बदलाव हुए हैं, पर्यवेक्षकों ने कहा। चीनी बयानों का पिछला जारीकर्ता चीनी रक्षा मंत्रालय था, जबकि इस बार यह PLA वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता थे। सितंबर 2020 में 6 वें दौर की बैठक से चीन और भारत संयुक्त बयान जारी करते आ रहे है लेकिन इस बार कोई संयुक्त बयान नहीं जारी किया गया।

अखबार ने एक विशेषज्ञ के हवाले से कहा, “इससे संकेत मिलता है कि इस बैठक में अन्य क्षेत्रों में पूर्ण सेना वापसी के समझौते के अनुसार परिणाम नहीं आया जिसपर चीन ने असंतोष व्यक़्त किया है।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि शेष मुद्दों को हल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अपनी रणनीति के तहत चीन संवादों को बाधित करने के लिए मुद्दों को नया मोड़ दे रहा है। इस पुरे मामले में चीनी विशेषज्ञों ने अमेरिकी सेना को भी घसीट कर इस बात का स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे इस मुद्दे को उलझा कर सेना के वापसी और भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद को उलझा कर रखना चहाता है।

चीन के विशेषज्ञों ने अमेरिका को विवाद में शामिल करते हुआ कहा कि भारत अपने आप को “स्मार्ट” मानता है और अमेरिका के साथ मिल सीमा में चीन को चुनौती देना चहाता है जो सफल नहीं होगा।

इस तरह के अनर्गल बयानों से चीन मामले का हल नहीं निकला चहाता यह उसने स्पष्ट कर दिया।

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