चीन ने गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों के नाम पर रखे पुल और गांवों के नाम

गलवान में भारतीय और चीनी सेना आमने सामने

न्यूज़ रिवेटिंग

दो वर्ष पूर्व गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुए खूनी झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों की याद में चीन ने शिनजियांग और तिब्बत प्रांतों को जोड़ने वाले हाइवे से लगे पुलों और गांवों का नाम उनके नामों पर रख रहा है।

इनमें से कुछ हिस्से अक्साई चिन से होकर गुजरते हैं जो चीन द्वारा नियंत्रित एक विवादित क्षेत्र है, जिसे भारत लद्दाख का हिस्सा कहता है। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार भारत के साथ गलवान में हुई झड़प ने चीन को हिला कर रख दिया। पुलों और गांवों के नामकरण से पहले चीन ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के मशालची के रूप में संघर्ष में घायल एक रेजिमेंट कमांडर को प्रतिनियुक्त किया था।

हालांकि चीन का दावा है उसके पांच सैनिक ही मारे गए थे, रक्षा विशेषज्ञों का मानना है गलवान में चीन ने करीब 45 सैनिकों को खोया है।  चीनी सेना के अधिकारी घटना के लगभग आठ महीने बाद सैनिकों के परिजनों से मिलने पहुंचे जो भारतीय जवानों के साथ गलवान घाटी में हुआ संघर्ष में मारे गए थे।

जून 2020 में हुई घटना के बाद चीन ने न तो अपने जवानों के मारे जाने की पुष्टि की और न ही संख्या बताया। भारत में हुए सैनिकों के सम्मान की बाद अचानक चीन होश में आया और इस बात का खुलासा किया कि संघर्ष में उनके चार सैनिक मारे गए थे। चीन ने बाकायदा उनका सम्मान भी किया।

रिपोर्ट के अनुसार पुलों का नाम चार सैनिकों, चेन जियांगरोंग, जिओ सियुआन, वांग झुओरान और चेन होंगजुन के नाम पर रखा गया है।

चीन की आधिकारिक मीडिया एजेंसी ने इसका खुलासा किया। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि इन सैन्य कर्मियों के नाम अब तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र तक जी-219 हाईवे के साथ सड़क के संकेतक पर दिखाई देने लगे हैं।

ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया कि गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों के गृहनगर के अलावा जी-219 हाईवे के साथ 11 पुलों का नामकरण इनके नाम पर किया गया है। कुछ दिन पहले चीनी सैन्य कमांडर क्यूई फाबाओ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की कांग्रेस में एक प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुआ था। फाबाओ में गलवान घाटी में हुए संघर्ष में घायल हुआ था।

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