भारत मे हर साल बड़े ही धूमधाम से गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है , पर इस साल कोरोना ने इस त्योहार के जश्न को बुरी तरह प्रभावित किया है ।लेकिन इन सबके बीच भारतीयों के लिए त्योहार मनाने की एक खास वजह चीनी सामानों का बहिष्कार हो सकती है ।
गलवान की घटना जिसमे कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। चीनियों की इस नापाक हरकत के विरोध में सम्पूर्ण भारत मे चल रहे चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान को त्यौहार के रूप में भी देखा जा सकता है । जिसकी वजह से इस बार चीन से गणेश की मूर्तियों का आयात नहीं हुआ।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार (22 अगस्त) को कहा कि इस साल-मेड-इन-चाइना ’गणेश की मूर्तियों का आयात शून्य रहा है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “हर साल देश भर में भगवान गणेश की लगभग 30 करोड़ मूर्तियां खरीदी जाती हैं।”
एक अनुमान के अनुसार, चीन हर साल लगभग 500 करोड़ रुपये की गणेश मूर्तियों का निर्यात करता था, उन्होंने कहा कि चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का समर्थन करते हुए, इस साल गणेश की मूर्ति का कोई आयात नहीं किया गया।
कैट भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान में शामिल हुआ। खंडेलवाल के अनुसार, इस साल शनिवार से शुरू हुई गणेश चतुर्थी में छोटी मूर्तियों को पसंद किया जा रहा है।लोगों मंदिरों में जाने के बजाय अस्थायी रूप से अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर उसकी पूजा कर रहें है ।
चीनी उत्पादों के बहिष्कार के आह्वान और गलवान घटना से पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोगों को सतर्क किया था। जनवरी में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विकास के लिये दूसरे देशों से आयात कोई बुरी चीज नही है लेकिन गणेश की मूर्तियों को बाहर से खरीदा जाना आश्चर्यजनक है ।