चीन को समझना होगा, उन पर हुआ है आतंकी हमला!

आर कृष्णा दास

चीन असमंजस में है कि इसे दुर्घटना कहें या हमला, जिसमें बुधवार की सुबह हुए विस्फोट के बाद पाकिस्तान के ऊपरी कोहिस्तान इलाके में उसके नौ नागरिकों की मौत हो गई।

4,300 मेगावाट की दसू जलविद्युत परियोजना के निर्माण में लगे 30 चीनी लोगों को ले जा रही बस बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और एक खड्ड में गिरने से पहले उछल गई।  इस तरह के प्रभाव की तबाही तब हो सकती है जब इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से विस्फोट किया जाता है, ऐसा सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है।

प्रारंभिक सूचना मिलने के बावजूद चीनी अधिकारी अभी भी असमंजस की स्थिति में हैं। इस घटना में नौ चीनी नागरिकों, फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी) के दो कर्मियों और दो स्थानीय लोगों सहित 13 लोग मारे गए और 28 अन्य घायल हो गए।

चीन में सरकारी अखबार ने एक विशेषज्ञ के हवाले से कहा कि यह घटना यांत्रिक विफलता का परिणाम हो सकती है। यदि यह सड़क किनारे बम होता, तो पाकिस्तानी गार्ड वाहन पहला लक्ष्य होते।  चीनी विशेषज्ञ का यह एक बचकाना तर्क है।

“उल्लिखित कारणों अर्थहीन है; अगर चीनी निशाने पर थे, तो पाकिस्तानी गार्ड वाहनों को लक्ष्य करने और उड़ाने का कोई मतलब नहीं था,” भारत में एक वरिष्ठ सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा।

जबकि एक विशेषज्ञ ने माना कि यह एक आतंकी हमला था लेकिन चीनी नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया था। चीन में दिए जा रहे स्पष्टीकरण विशेषज्ञों के गले नहीं उतर रहा है क्योंकि उनका मानना है कि आतंकी द्वारा पूर्व नियोजित हमले में ऐसा काम होता है कि वे लक्ष्य निर्धारित करने में कोई चूक कर बैठे।
 
इस घटना को छिपाने के बजाय, चीन को अपने नागरिकों के व्यापक हित में यह स्वीकार करनी चाहिए कि यह एक आतंकवादी हमला था और इसका उद्देश्य स्पष्ट था। वास्तव में, चीन उइगर में मुसलमानों की दुर्दशा के कारण आतंकी संगठनों के निशाने पर है। चीन के नागरिकों पर पाकिस्तान में आतंकी हमला पिछले दो वर्षों में तेज हो गया है जिसके अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद और गहरा होने की संभावना है।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जो कई सालों से पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह कर रहा है, पाकिस्तान के कबायली इलाकों के साथ-साथ खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भी कई इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश में सक्रिय हो गया है। कराची में चीनी नागरिकों पर हाल के हमलों से पता चलता है कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का विरोध करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों ने अपनी रणनीति बदल दी है – देश के शहरी केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करना और चीनी नागरिकों और निवेश को निशाने में लेना।

चीनी अधिकारी शायद इसके बारे में जानते हैं, लेकिन इसे जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर रहे है ताकि वे दुनिया को बता सके कि चीन  आतंकवादी संगठनों से सुरक्षित है। चीन की वैश्विक निवेश योजना को सबसे बड़ा झटका लगेगा क्योंकि आतंक के साये में अधोसंरचना आसानी से विकसित नहीं होती है।

भरी निवेश की आड़ में चीन विश्व की अर्थव्यवस्था में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।  बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से होकर गुजरेगा इसका एक उदहारण है। लेकिन इस तरह के आतंकी हमले से परियोजनाएँ गंभीर रूप से प्रभावित होंगी जो चीन किसी भी कीमत में नहीं चाहेगा।

यही वजह है कि चीन पाकिस्तान में अपने नागरिकों को हाई अलर्ट पर रहने को कह रहा है पर विश्व को यह बताने से कतरा रहा है कि वह और उसकी निवेश योजनाएं आतंकवादियों के निशाने में आ गए है।  
 
चीन को जितनी जल्दी समझ में आए उतना अच्छा!

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