टीम समाचार रिवेटिंग
वैक्सीन कूटनीति को लेकर भारत से बड़ा झटका मिलने के बाद चीन ने अब वायरस से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने की इच्छा जताई जो स्पष्ट करता है उंसने सीरम युद्ध में हार मान ली है।
चीन ने अब तक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को किनारे कर रखा था और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित अन्य देशो के वैज्ञानिकों को वुहान में प्रवेश देने से साफ़ मना कर दिया था जब वे शहर में स्थित प्रयोगशाला में कोरोनोवायरस की उत्पत्ति की जांच करना चाहते थे।
“अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए जरूरी है महामारी से लड़ने के लिए मिलकर काम करना , चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा। वैक्सीन कूटनीति में भारत की जीत के प्रश्न का जवाब देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि COVID-19 वैक्सीन किसका अच्छा है और किस का लगवाना है इस के लिए प्रत्येक देश स्वतंत्र है और यह उनके विवेक पर निर्भर करता है।
झाओ ने कहा, “इस मुद्दे में प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए और निश्चित रूप से टकराव भी नहीं ।” उन्होंने कहा कि वे स्वागत और आशा करते हैं कि अधिक से अधिक देश खासकर विकासशील सुरक्षित और अधिक प्रभावी टीके तैयार करे और लोगों को लाभ पहुंचाए।
चीनी मीडिया ने दावा किया है कि जिन देशों को चीनी टीके देना चाहता था वे भारत की ओर रुख कर रहे है ओर चीन की वैक्सीन को उप मानक वाला मान रहे है।
राज्य के स्वामित्व वाली चीनी मीडिया ने कहा कि कुछ पश्चिमी मीडिया ने कहा कि भारत आने वाले हफ्तों में दक्षिण एशियाई देशों को लाखों COVID-19 वैक्सीन की खुराक देने की तैयारी कर रहा है और दावा किया है कि भारत को पड़ोसियों से काफी प्रशंसा मिल रही है।
झाओ ने कहा कि चीन COVID-19 को लेकर जनता की भलाई के लिए टीके बनाकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर रहा है। चीन अन्य देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों के साथ मिल कर काम कर रहा है जिसे ओर मजबूत करना है।