राहुल-प्रियंका के नज़र में अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ प्रतीक्षा सूचि में

गंभीर मंत्रणा: राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का फाइल चित्र

न्यूज़ रिवेटिंग

नई दिल्ली, 24 सितंबर

पंजाब की समस्याओं को बिना किसी बगावत के हल करने के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का विश्वास काफी बढ़ गया है और अब उनका ध्यान राजस्थान की ओर है।

पार्टी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अपने घर को व्यवस्थित रखने के लिए संघर्ष कर रही है, जहां वह सत्ता में है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने नवजोत सिद्धू को संतुष्ट करने और पार्टी को व्यवस्थित करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुआ मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटा दिया। अब वे राजस्थान के समस्या का हल करने में लग गए है; छत्तीसगढ़ को अभी प्रतीक्षा करना होगा।

शुक्रवार को उन्होंने राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से मुलाकात की जो चाहते है किए पार्टी नेतृत्व उन्हें 2020 में बगावत करने के बाद पार्टी में लौटने पर जो आश्वासन दिया था उसे पूरा किया गए। राजस्थान समस्या के समाधान के लिए कांग्रेस ने एक समिति गठित की थी जिसे 13 महीने हो चुके है।

एक हफ्ते के अंदर पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से यह दूसरी मुलाकात थी। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पायलट ने प्रस्तावित कैबिनेट फेरबदल में अपने समर्थकों को समायोजित करने के लिए नेतृत्व पर गंभीर दबाव डाला है। जिसके कारण फेरबदल स्थगित कर दिया गया है। हालांकि कांग्रेस नेताओं ने इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया।

सूत्रों ने कहा कि पंजाब में सत्ता के सुचारू हस्तांतरण ने राहुल और प्रियंका को संगठन के हित में कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया है। वे राजस्थान के मुद्दे को जल्द से जल्द ठीक करने की योजना पर काम कर रहे हैं क्योंकि पायलट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह राजस्थान में भूमिका की उम्मीद कर रहे है ना कि एआईसीसी में।

फिलहाल छत्तीसगढ़ अभी प्रतीक्षा सूचि में है। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच चल रहे मतभेदों का कोई अंत नहीं दिख रहा है।

नवीनतम श्रृंखला में भूपेश बघेल के समर्थको वाली बिलासपुर कांग्रेस इकाई ने सिंह देव समर्थक विधायक शैलेश पांडे के खिलाफ पार्टी से निष्कासन की मांग का एक प्रस्ताव पारित किया है। उसका आरोप; पांडे ने सिंह देव खेमे से जुड़े एक कांग्रेस कार्यकर्ता के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का विरोध किया।

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