डॉ. रोहन दीक्षित
कोरोना से बचाव व संक्रमण होने पर रिकवरी में फिजियोथेरेपी सबसे कारगर पद्धति है। व्यायाम कर शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
इससे फेफड़े भी मजबूत बनेंगे। मरीज जब अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाता है। तब भी उनके फेफड़े कमजोर रहते हैं। उस समय भी फिजियोथेरेपिस्ट उनके फेफड़ों को मजबूत करने के लिए तरह-तरह की कसरत करवाते हैं, ताकि वह आराम से कार्य कर सकें।
यह कोरोना का समय चल रहा है। यह सबसे ज्यादा फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। इसके अलावा अस्थमा आदि फेफड़ों के कई ऐसे रोग हैं जिनके लाइलाज होने के बाद डॉक्टर फिजियोथेरेपी की सलाह देते हैं। इसे चेस्ट फिजियोथेरेपी कहा जाता है। दवाइयां तत्काल दर्द तो खत्म कर देती हैं लेकिन नुकसान भी करती हैं। फिजियोथेरेपी बिना दवाओं के इलाज करती है।
फिजियोथेरेपिस्ट -डॉ. रोहन दीक्षित के अनुसार कोविड 19 के बारे में बहुत स्पष्ट गाइडलाइन है। उसके अनुसार शुरुआती लक्षणों के दिखते ही थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए। हां, निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज शामिल हैं। इनसे फेफड़ों में जमा कफ बाहर निकालने में मदद मिलती है।
(लेखक शहर के जाने माने फिजियोथेरेपिस्ट है और ये विचार उनके अपने है )