स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट कागज रहित होगा।
सरकार ने बजट की प्रतियां ना छापने का निर्णय कोविड -19 महामारी द्वारा उत्पन्न सुरक्षा मानकों के मद्देनजर लिया है।
हालाँकि, बजट प्रतियों के मुद्रण से पहले हर साल होने वाला प्रथागत “हलवा समारोह” आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की अपने इन-हाउस प्रेस में सालाना केंद्रीय बजट को छापने की परंपरा है। मंत्रालय के लगभग 100 कर्मचारियों को बजट के दिन तक कागजात मुद्रित, सील और वितरित किए जाने तक लगभग 15 दिनों तक एक साथ रहना पड़ता है।
महामारी ने सरकार को मुद्रण की प्रथा को रोकने पर विचार करने और विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर कर दिया क्योंकि सीमित स्थान में सामाजिक दूरी को बनाए रखना मुश्किल है। गोपनीयता से समझौता करने के डर से बजट दस्तावेज़ बाहर मुद्रित नहीं किए जाते हैं। हालाँकि, बजट की सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई जाएगी।
इस वर्ष 1 फरवरी बजट के दिन संसद परिसर में बजट पत्रों से लदे कोई ट्रक नहीं होंगे । इसी तरह, वित्त मंत्री को बजट दस्तावेजों और बहीखातो को ले जाने के लिए ब्रीफकेस ले जाने की आवश्यकता नहीं है। 2019 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चमड़े के ब्रीफकेस को ले जाने की प्रथा को त्याग दिया और इसके बजाय अधिक पारंपरिक बहीखाता को चुना।
हालांकि केंद्र सरकार ने पहली बार 2016-17 में बजट की हार्ड प्रतियों की छपाई पर कटौती करने का फैसला किया था, लेकिन अब हरी झंडी मिलने के बाद यह पहली बार होगा जब छपाई पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी।