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कोलकाता, 20 सितंबर
पश्चिम बंगाल में भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में जाने वाले दिग्गजों की कीमत आखिरकार राज्य पार्टी प्रमुख दिलीप घोष को चुकानी पड़ी।
सोमवार देर शाम एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए भाजपा ने अपनी बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष को हटा दिया। उनकी जगह पार्टी के बालुरघाट से सांसद सुकांतो मजूमदार को चुना गया है।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, बंगाल में एकमात्र प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा लगातार कमजोर हो रही है और कई नेता पार्टी छोड़कर जा रहे है। घोष को अचानक हटाए जाने के कारणों में से यह एक हो सकती है। भाजपा छोड़ने वाले अधिकांश नेता अन्य राजनीतिक दलों से आए थे और घोष ने कथित तौर किसी भी राजनीतिक दल के लोगों के लिए भाजपा के दरवाजे खुले रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
खड़गपुर के सांसद घोष को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है।
कट्टर आरएसएस कार्यकर्ता, घोष को 2014 में भाजपा में शामिल किया गया था जब बंगाल में पार्टी ने मोदी लहर के बावजूद केवल दो लोकसभा सीटें जीती थीं। घोष को बंगाल में धीरे-धीरे चुनावी मशीनरी बनाने का श्रेय दिया जाना चाहिए और उनके नेतृत्व में संगठन का काफी विस्तार हुआ।
2016 में भाजपा के पास केवल तीन विधायकों थे वही तीन साल बाद घोष के नेतृत्व में भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया और 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल की।
यह सत्तारूढ़ तृणमूल और ममता बनर्जी के लिए एक बड़ा झटका था जिसके कारण उन्हें 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति को फिर से बनाने के लिए मजबूर किया।