आर कृष्णा दास
डोनाल्ड ट्रम्प शायद पहले ही राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का अंदेशा लगा चुके थे इसलिए उन्होंने पहले ही इसकी तैयारी कर रखी थी।
सारे रुझान डेमोक्रेटिक उम्मीदवार और निर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन की जीत की ओर ही इशारा कर रहे थे, और ट्रम्प को इसका अंदाज़ा पहले ही लग चुका था। पेंसिल्वेनिया में उन्होंने अपनी अंतिम रैली के पहले कहा कि “जैसे ही चुनाव खत्म होंगे , वे अपने वकीलों के साथ कानूनी प्रक्रिया का प्रयोग करने वाले हैं।
राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से चुनाव जीतने की उम्मीद खो चुके थे और अब व्हाइट हाउस में बने रहने के लिए कानूनी विकल्पों के सारे हथकंडे अपना रहे हैं। उनके इस अति आत्मविश्वास का प्रमुख कारण है सुप्रीम कोर्ट में उनके पसंदीदा न्यायधीशों का होना, जिन्हें उन्होंने पहले ही वहाँ नियुक्त कर रखा है।
ट्रम्प आसानी से हार स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, जो आज तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने करने की हिम्मत नहीं की है। और अगर उन्होंने व्हाइट हाउस को खाली करने से इनकार कर दिया, तो अमेरिकी लोकतंत्र के लिए एक बड़े संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।
टाइम पत्रिका ने अपने नवीनतम अंक में कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका अब से कुछ ही घंटों में एक कड़वी सच्चाई का सामना कर रहा होगा। जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति खुद लोगों के फैसले को मानने से इनकार करता है, तो पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा सकती है।
कोई भी वास्तव में नहीं जानता है कि अमेरिकी लोकतंत्र का क्या होगा जब ट्रम्प निष्पक्ष चुनावी निर्णय को स्वीकार करने से इनकार करते हैं और कार्यालय में बने रहने के लिए कानूनी प्रणाली का उपयोग करते हैं।
यदि ट्रम्प अमेरिका की जनता द्वारा दिये गए फैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी विकल्पों की खोज करना जारी रखते हैं तो वह अमेरिका को एक अभूतपूर्व संकट की ओर धकेल देंगे जिससे हिंसा की स्थिति पैदा हो सकती है। लोग पहले ही हथियारों की व्यवस्था कर रहे हैं और न्यूयॉर्क के दुकानदार अपनी दुकानों को बचाने के लिए सारे तरीके अपना रहे हैं।
एक महाशक्ति का इतनी बुरी स्थिति तक पहुंच जाना चीन और रूस जैसे देशों के लिए फायदेमंद साबित होगा। डोनाल्ड ट्रम्प का अपनी हार को शांतिपूर्ण तरीके से स्वीकार ना करना और अपनी हार पर दिखावा करना न तो अमेरिका के हित में होगा और न ही दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए।