आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का कड़ा संदेश-हमारी सद्भावना को दुर्बलता ना माने चीन

सरसंघचालक डा. मोहन भागव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्थापना दिवस व विजयादशमी उत्सव के अवसर पर सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। मोहन भागवत ने नागपुर से चीन के साथ-साथ भारत की ओर गलत नजर से देखने वाले देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि हम सभी से मित्रता चाहते हैं। यह हमारा स्वभाव है, परंतु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानने की हिम्मत न करें। अपने शक्ति प्रदर्शन से भारत को कोई देश नचा नहीं सकता या झुका नहीं सकता है।

इतनी बात तो ऐसा दुस्साहस करने वालों को समझ में आ जानी चाहिए। हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अद्भुत वीरता, हमारी सरकार की स्वाभिमानी रवैया तथा देश के लोगों का धैर्य चीन को पहली बार मिला, उससे उसके ध्यान में यह बात आ जाना चाहिए कि भारत पहले वाला नहीं है। उसके रवैये में भी सुधार हो जाना चाहिए। नहीं हुआ तो जो परिस्थिति आएगी, उसमें हम सभी लोगों की सजगता, तैयारी व दृढ़ता कम नहीं पड़ेगी। वे रविवार को संघ के स्थापना दिवस पर स्वयंसेवकों के साथ-साथ पूरे देश को संबोधित कर रहे थे।

आरएसएस के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव पर नागपुर से स्वयंसेवकों के साथ-साथ पूरे देश को संबोधित करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को आधार बनाकर समाज में विद्वेष व हिंसा फैलाने का षडयंत्र चल रहा है। इस कानून को संसद से पूरी प्रक्रिया से पास किया गया। इस षडयंत्र में शामिल लोग मुसलमान भाइयों के मन में यह बैठाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे अब भारत में नहीं रहेंगे। आपकी संख्या न बढ़े, इसके लिए कानून बनाई गई, यह बात फैलाया गया।

जबकि ऐसा है नहीं। इसमें किसी संप्रदाय का विरोध नहीं है। इसको लेकर कोरोना संक्रमण से पहले कई जगहों पर हिंसात्मक आंदोलन किए गए। कोरोना के कारण बात दब गई। कहा, श्री रामजन्म भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय देकर इतिहास बनाया। मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन भी हो गया। उस दिन पूरे देश में हर्षोल्लास का वातावरण था। उन्होंने कहा कि पिछले विजयादशमी से लेकर अभी तक चर्चा योग्य घटनाएं कम नहीं है। इससे पहले शस्‍त्र पूजन किया गया। और मोहन भागवत ने डॉ. हेडगवार जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

पूजा से जोड़कर हिंदुत्व शब्द को किया गया है संकुचित

संघ प्रमुख ने कहा कि समाज में वैमनस्य पैदा करने वालों के मनसूबे को नाकाम करने के लिए यह जानना जरूरी है कि संघ कुछ शब्दों का उपयोग क्यों करता है। हिंदुत्व ही ऐसा शब्द है जिसके अर्थ को पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया है। परंतु यह शब्द अपने देश की पहचान, अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सातत्य तथा समस्त मूल्य संपदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है।

इसलिए संघ मानता है कि यह शब्द भारत वर्ष को अपना मानने वाले, उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखानेवाली उसकी पूर्वज परंपरा का गौरव मन में रखने वाले सभी 130 करोड़ भारतीयों पर लागू होता है। उस शब्द को भूलने से हमको एकात्मता के सूत्र में देश व समाज से बांधने वाला बंधन ढीला होता है।

इसलिए जो लोग देश को तोडऩा चाहते हैं या समाज को लड़ाना चाहते हैं वे उस शब्द को संकुचित रूप में देखने लगते हैं। जबकि हिंदू किसी पंथ, संप्रदाय का नाम नहीं है, किसी प्रांत का उपजाया हुआ शब्द नहीं है। किसी जाति विशेष का इस पर अधिकार नहीं है। संघ जब हिंदुस्थान हिंदू राष्ट्र है, इस बात का उच्चारण करता है तो उसके पीछे कोई राजनीतिक या सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती है। अपने राष्ट्र का सत्व हिंदुत्व है।

भारत की एकता को तोडऩे का चल रहा घृणित प्रयास


संघ प्रमुख ने कहा कि भारत के विविधता के मूल में स्थित शाश्वत एकता को तोडऩे का घृणित प्रयास चल रहा है। इसके लिए हमारे तथाकथित अल्पसंख्यक तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को झूठे सपने दिखाने एवं उनके मन में विद्वेष की भावना फैलाने का काम हो रहा है। इस षडयंत्रकारी मंडली में भारत तेरे टुकड़़े होंगे जैसी घोषणाएं करने वाले लोग भी शामिल हैं। कहीं-कहीं नेतृत्व भी कर रहे हैं। इसके लिए हम सभी को धैर्य से काम लेना होगा। संविधान एवं कानून का पालन करते हुए लोगों को आपस में जोडऩे के लिए काम करना होगा। राजनीतिक लाभ व हानि की दृष्टि से विचार करने की प्रवृति को दूर रखना होगा।

कोरोना के कारण प्रभावित शिक्षण संस्थानों, विद्यार्थियों व बेरोजगारों की चिंता करनी होगी
डा. मोहन भागवत ने कोरोना से प्रभावित संस्थानों, विद्यार्थियों व बेरोजगारों की चिंता करते हुए कहा कि लॉकडाउन के समय आरएसएस सहित समाज के सभी वर्ग के लोगों ने जरूरतमंदों की खुल कर मदद की है। कहीं भोजन बांटने का काम हुआ तो कही मास्क बांटे गए। स्वतंत्रता के बाद धैर्य, आत्मविश्वास व सामूहिकता की यह अनुभूति पहली बार अनेकों लोगों ने देखा है। इस विषम परिस्थिति में सरकार ने भी तत्परता पूर्वक लोगों को सावधान किया, सावधानी के उपाए बताए और उस पर अमल भी किया। विश्व के अनेक देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे से खड़ा हुआ।

सरकार के साथ-साथ प्रशासन से जुड़े लोग, चिकित्सक, सुरक्षा व सफाईकर्मी लोगों की सेवा में जुटे रहे। स्वयं को संक्रमित होने को जोखिम उठाते हुए घर से दूर रहकर दिन-रात काम किया। सभी अभिनंदन के पात्र हैं। इस दौरान अपनी जान देने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। परंतु इस दौरान शिक्षण संस्थान जो प्रभावित हुए, बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई, लाखों लोग बेरोजगार हो गए, शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहे हैं, विद्यालय बंद रहने से फीस नहीं मिला। इससे शिक्षकों के वेतन बंद हैं।

ऐसे लोगों की हमें अब चिंता करनी होगी। हमें रोजगार का प्रशिक्षण एवं रोजगार का सृजन करना होगा। जिस प्रकार संघ के स्वयंसेवकों ने लॉकडाउन के समय काम किया था, उसी तरह सेवा के इस नए चरण में भी पूरी शक्ति के साथ सक्रिय रहना होगा। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को अब भी जागरूक करना होगा। कहा, मन में भय रखने की आवश्यकता नहीं है, सजगतापूर्वक सक्रियता की आवश्यकता है। तनाव के कारण आत्महत्या व अपराध न बढ़े, इस पर ध्यान देना होगा। अपना परिवार स्वस्थ्य रहे, इसकी चिंता करनी होगी।

कोरोना के कारण सांस्कृतिक रीति-रिवाज का महत्व, स्वच्छता की महत्ता, प्राचीन पद्धति, कुटुंब व्यवस्था में परिवर्तन दिखने लगा है। यह देखने की बात होगी कि यह बना रहता है कि फिर से उसी रास्ते पर चलने लगेंगे।

आरएसएस के फेसबुक, ट्विटर व यूट्यूब आरएसएसओआरजी पर इसे ऑनलाइन प्रसारित किया जा रहा है। दैनिक जागरण के वेबसाइट पर भी इस खबर को लगातार अपडेट किया जा रहा है। नागपुर में आयोजित यह कार्यक्रम इस बार मैदान में नहीं करके डाक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर के हाॅल में हो रहा है। कार्यक्रम में बाहर से किसी विशिष्ट अतिथि को आमंत्रित नहीं किया गया है।

पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवक


आरएसएस के छह प्रमुख उत्सवों में से एक विजयादशमी उत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में सभी स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में शामिल हैं। नागपुर सहित पूरे देश में अधिकतर जगहों पर कार्यक्रम कैंपस में ही हो रहे हैं। एक जगह पर अधिक से अधिक 40 से 50 स्वयंसेवक ही उपस्थित रहेंगे। इसलिए कम संख्या में ज्यादा स्थानों पर कार्यक्रम किए जाएंगे। प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार कार्यक्रम देखने के लिए समाज के लोगों को आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। कार्यक्रम में सभी स्वयंससेवक मास्क पहनकर आए हैं। कार्यक्रम में 6 फीट की दूरी पर सभी खङे हैं।

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