भारत में विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपो से अभी फेसबुक उभर नहीं पाया था की अमेरिका चुनाव में उसे नयी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
अमेरिका में दोनो ही प्रमुख दलों के चुनाव प्रचार अभियान जोर शोर से जारी हैं। जहाँ दोनो ही दल अपनी अपनी जीत के दावे कर रहें हैं वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है।
चुनाव से एक सप्ताह पहले अपने प्लेटफ़ॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए, फेसबुक ने कहा कि यह उन पोस्टों को रोकने मैं कारगर होगा जो लोगों को मतदान से दूर करने की कोशिश करते हैं। चुनाव के बाद की स्थिति पर फेसबुक ने कहा कि वह किसी भी उम्मीदवारों के परिणामों पर सटीक जानकारी के लिए उपयोगकर्ताओं को पुनर्निर्देशित करके झूठी जीत का दावा करने के प्रयासों को समाप्त कर देगा।
सोशल मीडिया नेटवर्क के प्रयोग से डोनाल्ड ट्रम्प और जोसेफ बिडेन एक दूसरे पर लगातार हमले कर रहें हैं। ट्रम्प ने मेल-इन वोटिंग की वैधता पर सवाल उठाये थे और कहा कि ऐसी स्थिति में वे चुनाव परिणामों को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट में लिखा है, “यह चुनाव पहले के आम चुनावों की तरह नहीं होंगे ।” उन्होंने कहा कि वह उन चुनौतियों के बारे में चिंतित हैं जिनका एक मतदाता को महामारी में मतदान करते समय सामना करना पड़ सकता हैं इसके अलावा वर्तमान परिस्थिति में मतों की गिनती करना भी काफी मुश्किल साबित होगा। जिससे कि अशांति की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
उन्होंने कहा, “हम सभी की जिम्मेदारी है कि अब हम अपने लोकतंत्र की रक्षा करें।”
फेसबुक ट्रम्प और बिडेन के चुनाव अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण युद्ध का मैदान बन गया है। ट्रम्प के अभियान में बिडेन के बारे में झूठे भ्रष्टाचार के आरोपों वाले विज्ञापन सोशल मीडिया पर चलाए गए थे। जिसके लिए फेसबुक बहुत आलोचना भी हुई ,जबकि मतदाताओं से अपील करने के लिए विज्ञापनों पर लाखों डॉलर खर्च किए जा चुके हैं।
सोशल नेटवर्क जहा अपनी विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए जूझ रहे हैं वही दोनों दलों के द्वारा वोटरों को प्रभावित करने जैसे आरोपो से भी बचना चाहते है। मुख्य रूप से फेसबुक चाहता है की जिस तरह रूस ने इस प्लेटफार्म का उपयोग 2016 के चुनाव में ट्रम्प की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए किया था वह दोबारा ना हो।