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नई दिल्ली, दिसंबर ९
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनने वाले जनरल बिपिन रावत ने 2015 में हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत को दिया था चकमा लेकिन इस बार हार बैठे जिंदगी की जंग।
31 दिसंबर 2019 को भारत के पहले सीडीएस के रूप में पदभार संभालने वाले जनरल रावत एक बार हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे। 3 फरवरी 2015 को रावत नागालैंड के दीमापुर में चीता हेलिकॉप्टर पर सवार थे जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उस समय वे लेफ्टिनेंट जनरल थे।
दीमापुर में उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इंजन में खराबी के कारण हुई इस दुर्घटना में दो पायलट और एक कर्नल भी बाल-बाल बचे।
जनरल रावत को मामूली चोटें आई थीं। हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी ही थी कि इंजन जमीन से करीब 20 फुट की ऊंचाई पर बंद हो गया और हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया।
मगर 2015 की तरह इस बार शायद जनरल बिपिन रावत की किस्मत शायद उतनी अच्छी नहीं थी और देश का एक सिपाही हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपना जीवन गवां बैठा। बुधवार को जनरल रावत कोयंबटूर के पास सुलूर में वायुसेना अड्डे से वेलिंगटन में डिफेंस स्टाफ कॉलेज जा रहे थे जब उनका हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। उनके साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत, रक्षा सहायक, सुरक्षा कमांडो और एक भारतीय वायुसेना के पायलट की भी मौत हो गई।
जनरल रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी में एक हिंदू गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था। उन्होंने वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) से स्नातक किया। वह बुधवार को उसी कॉलेज में जा रहे थे जब उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
उनके परिवार के कई सदस्यों ने सेना में सेवाएं दी है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी उनमे शामिल हैं जो सेना के उप प्रमुख बने। उन्हें उच्च ऊंचाई वाले युद्ध का व्यापक अनुभव था और उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों का संचालन करते हुए दस साल बिताए थे।
भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने गोरखा बटालियन, जो निश्चित ही दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाका कहलाते हैं, के बारे में कहा था कि अगर कोई शख्स कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो या तो वो झूठ बोल रहा है या फिर वो गोरखा है।
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने वाले जनरल बिपिन रावत भी इसी गोरखा बटालियन से ताल्लुक रखते थे।