मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु पुलिस को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई ) की कस्टडी से 103 किलो सोना गायब होने के मामले में जांच का आदेश दिया.
कोर्ट ने उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि ‘’अगर स्थानीय पुलिस जांच करेगी तो सीबीआई की प्रतिष्ठा में कमी आ जाएगी.’’ कोर्ट ने स्थानीय क्राइम ब्रांच और सीआईडी से जुर्म दर्ज करने को कहा और टिपण्णी की कि , ”सीबीआई के लिए यह एक अग्नि परीक्षा हो सकती है. अगर सीता की तरह उनके हाथ साफ हैं, तो वे साफ बाहर आ सकते हैं.”
सीबीआई स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर ने मांग की कि राज्य पुलिस के बजाय सीबीआई या नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी जांच करे। जस्टिस पीएन प्रकाश ने कहा, ”अदालत इस दृष्टिकोण पर सहमत नहीं हो सकती, क्योंकि कानून इस तरह के दखल को मंजूरी नहीं देता है. ”
मामला 2012 का है जब सीबीआई चेन्नई में मिनरल्स एंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (MMTC) के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले की जाँच कर रहे थे। अधिकारियो पर आरोप था की वे सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड को अनुचित मदद पंहुचा रहे थे जो सोने और चांदी के आयात से जुड़ा था।
सीबीआई ने सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चेन्नई स्थिति ऑफिस की बिल्डिंग से 400.47 किलो सोना जब्त किया था और उसे फर्म की तिजोरियों में लॉक और सील किया था. सीबीआई का दावा है कि उसने तिजोरी की चाबियां चेन्नई स्थिति स्पेशल सीबीआई कोर्ट को सौंपी थीं, हालांकि दस्तावेजों में इससे संबंधित किसी भी तारीख का जिक्र नहीं किया गया है.
सितंबर 2013 में, सीबीआई ने कहा कि जब्त किए गया सोना 2012 के भ्रष्टाचार मामलों में जरुरी नहीं था। जाँच एजेंसी ने सुराना के खिलाफ व्यापार नीति का उल्लंघन का नया मामला दर्ज किया और सोने को पहले मामले से नए मामले की ओर ट्रांसफर कर दिया – जिसके बाद अदालत ने रिकॉर्ड पर लगभग 400 Kg सोने के ट्रांसफर की अनुमति दी थी.
2015 में सीबीआई ने दूसरे मामले में खात्मा रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया कि “आगे और पर्याप्त सबूत नहीं हैं.” सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने यह स्वीकार कर लिया, लेकिन निर्देश दिया कि जब्त किए गए सोने को DGFT को सौंप दिया जाए. यह आदेश बाद में सुराना की याचिका पर मद्रास हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
दिसंबर 2019 में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, जिसकी ओर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने रुख किया था, ने आदेश दिया कि सोना उन 6 बैंकों को सौंप दिया जाए जिनका पैसा सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर बकाया था।
हालांकि, जब सीबीआई ने इस साल फरवरी में बैंक प्रतिनिधियों की मौजूदगी में तिजोरियां खोलीं, तो 103.8 Kg सोना कम पाया गया।