दिवाली की रात में जैसे ही पटाखे फूटने की आवाजें शांत होती हैं, हाफिज खान और उनके गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के कार्यकर्ता सड़कों पर आ जाते हैं।
वे और उनके साथी एक मिशन पर हैं। वे सब पटाखों से होने वाले कचरे को इकट्ठा कर इसका उपयोग पर्यावरण की बेहतरी के लिए कर रह रहे हैं। वे सब दीवाली के कचरे से हरा सोना बना रहे हैं ।
हाफिज खान और उनकी टीम चेन्नई में घरों से पटाखों का कचरा इकट्ठा करती हैं और फिर इनका उपयोग पौधों के लिए छोटे गमलों के रूप में करती है। हाफिज कहते हैं “हम पटाखों के बेकार हुए गत्ते के टुकड़ों का प्रयोग पौधे रोपने के लिए करते हैं। इस दीवाली में अब तक हम पहले ही 80,000 से अधिक गत्ते एकत्र कर चुके हैं।”
टीम अपने इस कार्य के लिए रॉकेट, अनारदाने, आतिशबाजी के लिए उपयोग किए गए पटाखों के गत्तों का इस्तेमाल करती है। हाफिज कहते हैं कि यह पहल पिछले साल शुरू हुई थी, और तब टीम ने लगभग 27,000 पटाखा के गत्तें एकत्र किए थे।
कम्युनिट्री, जैसा कि नाम से पता चलता है इस मुहिम के द्वारा वे पूरे समुदाय की बेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं जिसमे पूरा समुदाय भी अप्रत्यक्ष रूप से उनके साथ हैं। 50 वर्षीय हाफ़िज़ कहते हैं कि “हम लोगों से गत्तें एकत्र करते हैं और फिर उनमें पौधे लगा कर उन्हें वापस करते हैं, और यदि वे पौधे नहीं चाहते हैं, तो इसके लिए भी उन्हें कोई जोर जबरदस्ती नहीं हैं।
संगठन की नर्सरी में 40,000 पौधे हैं। जहाँ पौधों की कई किस्मों जैसे कटहल, आंवला, अमरूद के पेड़ के पौधे शामिल हैं। ये पौधे कम्युनिट्री की नर्सरी में उगाए जाते हैं और बाद में विभिन्न स्थानों पर लगाए जाते हैं। हाफिज़ ने कहा कि गत्तों के गोलाई वाले टुकड़ों में पौधे पाँच फीट तक बढ़ सकते हैं।
हाफिज ने कहा, “शुरुआत में, हमारी नर्सरी में पौधे उगाने के लिए प्लास्टिक कवर का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन जैसा कि यह पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं था, हमने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया। फिर हमने बांस और कई अन्य पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों में पौधे उगाने की कोशिश की, लेकिन वे महंगे थे और टिकाऊ भी नहीं थे। फिर एक दिन, मैंने गत्तों के बॉक्स में पौधे लगाने का विचार किया। गत्तों के बॉक्स जहां पोधो के अनुकूल हैं, साथ ही, इसमें पौधे उगाने के कई और फायदे हैं। इसलिये मैंने तय किया कि दिवाली गत्तों के बॉक्स इकट्ठा करने का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि इनका इस्तेमाल पटाखा बनाने के लिए किया जाता है। ”
ये मजबूत कार्डबोर्ड से बने होते हैं, जो कि पौधे उगाने के लिए उत्कृष्ट होते है। पानी डालते समय इनमें नमी बनी रहती है, जिससे इनकी देखरेख करना आसान होता है। बीज के अंकुरण के बाद, इन्हें सीधे मिट्टी में लगा दिया जाता है। इन बीजों को अंकुरित होने में पांच से पंद्रह दिन लगते हैं।
हालांकि, इन टुकड़ों के अंदर भरे बारूद के प्रभाव को खत्म करने के लिए, इसे गोबर के पानी से धोया जाता है।