टीम समाचार रिवेटिंग
नई दिल्ली, 22 दिसंबर
कार्मिक, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से कहा है कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों पर सतर्कता की निगरानी बढ़ाए जिन्होंने अभी तक संपत्ति रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
संसद के पैनल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के ऐसे 316 दोषी अधिकारियों की पहचान की है जो 2020 के लिए वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न (आईपीआर) दाखिल करने में विफल रहे हैं। 1 जनवरी, 2021 तक ऐसे आईएएस अधिकारियों की संख्या 349 थी, लेकिन 33 अधिकारियों ने बाद में रिटर्न दाखिल किया, जिससे 316 डिफॉल्टिंग सेगमेंट में रह गए।
समिति ने पिछले सप्ताह संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा, “गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता मंजूरी को रोकने के अलावा अन्य कड़े कदम उठाने चाहिए।” ऐसे अधिकारियों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सिफारिश करते हुआ पैनल ने कहा, “यह चिंता का विषय है।”
सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, “डीओपीटी को एक स्टेटस नोट भी प्रस्तुत करना होगा जिसमें उन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं जो निर्धारित समय सीमा के भीतर आईपीआर दाखिल करने में विफल रहते हैं।”
अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 (नियम 16 (2)) सेवा के प्रत्येक सदस्य को उसके नाम पर लीज या गिरवी पर विरासत में मिली, स्वामित्व वाली, अर्जित या धारित अचल संपत्ति का विवरण देते हुए, वार्षिक रिटर्न जमा करने के लिए अनिवार्य करता है। या उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर।
भ्रष्टाचार को खत्म करने और निगरानी बढ़ाने के लिए सरकार ने 1 जनवरी, 2017 से आईपीआर ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा शुरू की थी।
नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि किसी भी अधिकारी को सतर्कता मंजूरी से वंचित कर दिया जाएगा यदि वह पिछले वर्ष की अपनी वार्षिक आईपीआर 31 जनवरी तक जमा करने में विफल रहते है।