न्यूज़ रिवेटिंग
इंदौर, फरवरी 6
स्वर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर हमारे बीच नहीं रहीं। वे पिछले 28 दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं।
अविभाजित मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से उनका जन्म का रिश्ता रहा है। 28 सितंबर, 1929 को इंदौर के सिख मोहल्ले में लता मंगेशकर का जन्म हुआ था। जिस चालनुमा घर में वे पैदा हुई थीं, वह उस समय वाघ साहब के बाड़े के रूप में जाना जाता था। सात साल की उम्र तक वे इंदौर में इसी घर में रहीं। इसके बाद उनका परिवार महाराष्ट्र चला गया।
लता जी के इंदौर से जाने के बाद इस घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीदा। यह परिवार कुछ साल यहां रहा और फिर इस घर को बलवंत सिंह को बेच दिया। बलवंत सिंह लंबे समय तक इस घर में रहा। बाद में उन्होंने इसे नितिन मेहता के परिवार को बेच दिया। मेहता परिवार ने घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोल लिया है।
मेहता परिवार ने सबसे पहले घर का कायाकल्प करवाया। यह परिवार लता जी की देवी की तरह पूजा करता है। शोरूम खोलने से पहले वे हर दिन उनका आशीर्वाद लेते हैं। उन्होंने शोरूम के एक हिस्से में लता जी का म्यूरल बनवाया है।
जन्म के बाद से लता जी का ज्यादातर जीवन मुंबई में बीता, लेकिन इंदौर को वे कभी नहीं भूलीं। अपने जन्म स्थान के लोगों से मिलकर उन्हें बेहद खुशी होती हैा। उन्हें इंदौर के सराफा की खाऊ गली अब भी याद है। यहां के गुलाब जामुन, रबड़ी और दही बडे़ उन्हें बेहद पसंद थे। इंदौर के लोगों से मिलकर वे अब भी अक्सर पूछती हैं- सराफा तसाच आहे का? यानी क्या सराफा अभी भी वैसा ही है।
मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने 1984 में उनके नाम से पुरस्कार की शुरुआत की। पुरस्कार में योग्यता का प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार शामिल हैं।