आर कृष्णा दास
1944 के मध्य में जब लाल सेना और सहयोगी सेना एडॉल्फ हिटलर पर अंतिम हमले के लिए जर्मनी की ओर बढ़ रही थी, तानाशाह ने एक गहरी साजिश रची।
अपनी हार को देखते हुए एडॉल्फ हिटलर ने 23 अगस्त, 1944 को फील्ड मार्शल वाल्थर मॉडल और डिट्रिच वॉन चोलित्ज़ को एक संदेश भेजकर कहा कि पेरिस को हर कीमत पर अपने कब्जे में रखना है और अगर यह नहीं किया जा सकता है तो उसे खंडहर के रूप में बदल देना।
हिटलर ने इसे संक्षेप में कहा, “पैरिस को खंडहर के क्षेत्र के अलावा दुश्मन के हाथों में नहीं पड़ना चाहिए।” पेरिस को नष्ट करने से जर्मनों को कोई सैन्य लाभ नहीं मिलता; लेकिन हिटलर ने अपमानजनक आदेश केवल अपने अहंकार को शांत करने और खुद को संतुष्ट करने के लिए दिया क्यूंकि उनका मानना था कि अगर पेरिस जैसा सुंदर शहर उन्हे नहीं हो सकता है तो किसी और का भी नहीं होगा!
पिछले कुछ दिनों में कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाली हिंसा में अचानक हुई वृद्धि हुई जिससे ऐसा माना जा सकता है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा हिटलर की रणनीति पर काम कर रहे है। उन्होंने दोहराया था, “पाकिस्तानी सेना कश्मीरियों के साथ उनके न्यायपूर्ण संघर्ष में अंत तक मजबूती से खड़ी है,” और “हम तैयार हैं और अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे …”।
इस बात की प्रबल संभावना है कि तालिबान के लड़ाके जम्मू-कश्मीर में अपना रास्ता खोज सकते हैं। कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की हालिया हत्याएं पाकिस्तानी सेना की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की साजिश को सिद्ध करती हैं, जो जम्मू-कश्मीर में छद्म युद्ध कर रहे है।
जबकि तालिबान अफगानिस्तान में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, पाकिस्तान द्वारा मुजाहिदीन को घाटी में विनाश के लिए धकेलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। आखिरकार, पाकिस्तान का दावा है कि उसने तालिबान के अधिग्रहण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और रावलपिंडी निश्चित रूप से काबुल को अपने लड़ाकों को जम्मू-कश्मीर की ओर भेजने के किये दबाव बनाएगा।
यह उस प्रयोग का पुनरावर्तन होगा जो आईएसआई ने 1990 के दशक में तब किया था जब तत्कालीन सोवियत सेना ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था और मुजाहिदीन “बेरोजगार” हो गए थे।
किसी को भी इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि कश्मीर आज एक ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है क्योंकि कश्मीर घाटी में आईएसआई द्वारा की जा रही तबाही को देखने के बाद दो बिंदु स्पष्ट हैं। एक, रावलपिंडी समझ गया है कि 1947 और 1965 की तरह, कश्मीरियों ने एक बार फिर पाकिस्तान की सेना का साथ नहीं दिया और इसलिए सेना को लोगो के लिए कोई सहानुभूति नहीं है। दूसरा, पाकिस्तान कश्मीर ले नहीं सकता जिसे मुगल सम्राट जहांगीर ने ‘धरती पर स्वर्ग’ कहा था और इसलिए यह सुनिश्चित करेगा कि कश्मीर एक वास्तविक नरक में बदल जाए जैसा हिटलर ने पेरिस के लिए योजना बनाई थी!
अपनी रणनीति पर आगे बढ़ने से पहले जनरल बाजवा को इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। नाजी के कब्जे वाले पेरिस में अंतिम कमांडर चोलित्ज़ ने दुनिया के खूबसूरत शहरों में से एक को बर्बाद करने के हिटलर के आदेश का पालन करने से साफ़ इनकार कर दिया था।
हालांकि चोलित्ज़ ने बाद में दावा किया कि हिटलर के सीधे आदेश की अवहेलना इसकी स्पष्ट सैन्य निरर्थकता, फ्रांसीसी राजधानी के इतिहास और संस्कृति के प्रति उनके स्नेह के अलावा उन्हें लग रहे था किए हिटलर तब तक पागल हो गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि शहर पर उनका बहुत कम नियंत्रण था क्योंकि प्रतिरोध चालू हो गया था और हिटलर के लोग अच्छे से जानते थे कि वे उनके आदेशों को अंजाम नहीं दे सकते थे।