आर कृष्णा दास
इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने आज तड़के गाजा में हमास के कथित सैन्य ठिकानों पर भारी बमबारी जारी रखी वही इस हमले ने अरब राज्यों में विभाजन कर दिया है।
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव और हमले नए नहीं है। लेकिन इस बार जो नया है वह है इस ताजा संघर्ष में अरब देशो के बीच टकराव पैदा हो गया है और वे किसी एक का पक्ष लेने में संकोच कर रहे है।
“रातों रात, हमने गाजा शहर में आतंकी ठिकानों पर हमला किया जिसमे तेल अवीव और पूरे इजरायल में रॉकेट लॉन्च साइट, हमास ‘मेट्रो’ सुरंग में 65 आतंकी ठिकाने, हमास एंटी-टैंक मिसाइल दस्ते शामिल है। हमास ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह जानबूझकर असैन्य इलाकों में सैन्य ठिकानों बनाया है,” आईडीएफ ने ट्वीट में कहा।
अपने लोगों को आतंकवादी हमले से बचाने के लिए इजरायल के आक्रामक रुख ने संघर्ष विराम के प्रयासों के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चौंका दिया है। लेकिन असल बदलाव अरब राज्यों में देखा जा रहा है। मध्य पूर्व में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा तैयार किए गए नए राजनयिक समीकरण इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण है।
जबकि मुस्लिम बहुसंख्यक राज्यों जिसमें तुर्की और ईरान शामिल हैं ने अल-अक्सा मस्जिद में उकसाने और गाजा में अत्याचार करने के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया है वही अन्य अरब देश इस मामले में मौन है। सऊदी अरब, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने हाल ही में इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य किया है। वे इस दुविधा में है कि नए राजनयिक संबंधों हो बनाये रखे या स्वयं के नागरिकों को असंतुष्ट कर दे जो इजरायल के खिलाफ मुखर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के पर्यवेक्षकों का मानना है कि इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच नए दौर की लड़ाई ने कुछ क्षेत्रीय शक्तियों को अपनी आबादी के साथ मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। कई अरब राज्यों का मानना है कि इज़राइल के साथ नए गठबंधन को तोड़ना भविष्य की योजनाओं के लिए अच्छा नहीं होगा और मुस्लिम समूह में अपने विरोधियों का मुकाबला करने में भी कारगर होगा जिसमें ईरान, तुर्की और अन्य शामिल हैं।
कई अरब देश आतंकवादी समूह हमास का जिक्र किए बिना गाजा और उसके लोगों के पक्ष में बात कर सकते थे। लेकिन उन्होंने चुप रहना पसंद किया।