आर कृष्णा दास
बुधवार को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के नेतृत्व में चुनाव जीतने के बाद फुमियो किशिदा जापान का प्रधानमंत्री बनना तय है वही अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी है कि उनका चीन के प्रति क्या नीति होगी।
बीजिंग इस बात पर कड़ी नजर रखा हुआ है कि क्या भावी प्रधानमंत्री अपने पूर्ववर्ती योशीहिदे सुगा का अनुसरण करते हुए टकराव वाली चीन नीति का पालन करते हैं या बदलते हैं। जापान अभी भी कोरोना और घरेलू मुद्दों से जूझ रहा है, जिसे चीन भुनाना चाहता है और एक उदार नीति का पालन करने के लिए नई व्यवस्था को प्रेरित करना चाहेगा।
विदेशी विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि नए नेता के लिए विदेश नीति के बजाय घरेलू मुद्दों पर विशेष ध्यान देना होगा। महामारी को रोकना और अर्थव्यवस्था को बहाल करना देश के सामने दो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। 2022 की गर्मियों में होने वाले उच्च सदन के चुनाव से पहले, किशिदा को चुनाव में एलडीपी की सफलता सुनिश्चित करने के लिए दोनों मुद्दों को सफलतापूर्वक संबोधित करने की आवश्यकता है।
चीन का अनुमान है कि किशिदा टकराव की नीति अपनाने के बजाय घरेलू मुद्दों से निपटेंगे क्योंकि सुगा की फिर से चुनावी मैदान में नहीं आने का मुख्य कारण महामारी और अर्थव्यवस्था से देश को नहीं उभार पाना था। यह दोनों मुद्दों को संभालने के लिए चीन नए शासन की सहायता करने की भी परिकल्पना करता है। बीजिंग अर्थशास्त्रियों की रिपोर्ट पर भी भरोसा कर रहा है कि चीन-जापान आर्थिक सहयोग और व्यापार में 2021 में मजबूत वृद्धि देखने की संभावना है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अबे के नेतृत्व के दौरान दूसरे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले विदेश मंत्री के रूप में किशिदा चीन के साथ एक स्थिर संबंध बनाए रखने के महत्व से अच्छी तरह वाकिफ हैं और जानते हैं कि उन्हें स्थिर जापान-चीनी संबंधों से लाभ ही मिलेगा।
लेकिन चीन के साथ विनम्र संबंध बनाए रखने के लिए किशिदा को ताइवान के सबसे संवेदनशील मामले में दखल देने से खुद को दूर रखना होगा। और चुनाव से पहले, किशिदा ने चीन को और अधिक आहत करने वाले मुद्दे पर कुछ कड़े शब्दों में अभिव्यक्ति की। उन्होंने चेतावनी दी कि “ताइवान अगली बड़ी समस्या होगी।” पद ग्रहण करने के बाद, नए प्रधानमंत्री से उम्मीद की जाती है कि वे दौड़ के दौरान किए गए वादे को पूरा करेंगे।
चीन को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि शिंजो आबे-युग के विदेश मंत्री के रूप में किशिदा ने चीन नीति तैयार करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसका झुकाव सीधे संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर था।