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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार को एक मस्जिद के प्रवेश द्वार पर हुए शक्तिशाली विस्फोट में एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
हालांकि किसी ने भी इस घटना की जवाबदारी नहीं ली है लेकिन इसे इस्लामिक स्टेट (आईएस) और तालिबान के बीच चल रही तकरार के साथ देखा जा रहा है।
तालिबान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने घटना की पुष्टि की और कहा कि काबुल में बड़ी ईदगाह मस्जिद के प्रवेश द्वार पर हुए बम विस्फोट में “कई नागरिक” मारे गए। हालांकि, एक स्थानीय मीडिया ने दावा किया कि 15 अगस्त को काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद हुए सबसे घातक विस्फोट में 13 लोग मारे गए और 32 अन्य घायल हो गए।
मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि धमाका सड़क किनारे लगे बम से हुआ है। घटना के सिलसिले में तीन लोगो को हिरासत में लिया गया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद की मां, जिनकी पिछले सप्ताह मृत्यु हो गई थी, के लिए रविवार दोपहर मस्जिद में प्रार्थना समारोह आयोजित किया जा गया था। इसमें बड़ी संख्या में लोग आमंत्रित थे।
हमले की तत्काल किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। अगस्त के मध्य में तालिबान के अफगानिस्तान के अधिग्रहण के बाद से आतंकवादी इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह ने हमले तेज कर दिए हैं। आईएस पूर्वी प्रांत नंगरहार में मजबूत उपस्थिति रखता है और तालिबान को दुश्मन मानता है।
आईएस ने ‘नए तालिबान’ को ‘इस्लाम का नक़ाब पहने’ एक ऐसा ‘बहुरूपिया’ करार दिया जिसका इस्तेमाल अमेरिका मुसलमानों को बरगलाने और क्षेत्र से इस्लामिक स्टेट की उपस्थिति ख़त्म करने के लिए कर रहा है। इस्लामिक स्टेट ने उनके खिलाफ कई हमलों का दावा किया है, जिसमें प्रांतीय राजधानी जलालाबाद में कई हत्याएं शामिल हैं।
राजधानी में हुए हमले ने तालिबान को हिला दिया हैं क्योंकि आईएस ने संकेत दिया है कि यह पूर्व से परे और राजधानी की ओर अपने पदचिह्न का विस्तार कर रहा है। तालिबान लड़ाकों ने शुक्रवार को परवान प्रांत में काबुल के उत्तर में आईएस के एक ठिकाने पर धावा बोला था । छापेमारी तब हुई जब आईएस के सड़क किनारे बम ने इलाके में चार तालिबान लड़ाकों को घायल कर दिया।