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बँगलेरू, अप्रैल 6
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (चिकित्सा शिक्षा) विभाग में प्रमुख सचिव का वेतन तब तक रोक दिया जाए जब तक कि धारवाड़ मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान में एमआरआई मशीन स्थापित और चालू नहीं हो जाती।
प्रमुख सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1995 बैच के अधिकारी है।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने मंगलवार को जारी आदेश में कहा कि मशीन की खरीद के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए दो साल पहले छह सप्ताह का समय दिया गया था, लेकिन यह अभी तक चालू नहीं हो सका।
कोर्ट ने कहा, “5 मार्च, 2020 को, कोर्ट ने राज्य सरकार को संस्थान के उपयोग के लिए आवश्यक विनिर्देश की MRI मशीन की खरीद के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया था। छह सप्ताह का समय दिया गया था। कोर्ट की ओर से बार-बार समय दिया जा चुका है लेकिन एमआरआई मशीन उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे अधिकारियों की मशीन न लगवाने की मंशा भी झलकती है। हम संबंधित अधिकारियों के आचरण की सराहना नहीं करते हैं।”
राज्य ने न्यायालय को सूचित किया कि मशीन संस्थान को दी गई थी, लेकिन अभी तक चालू नहीं हो सकी।
पीठ ने देरी पर नाराज़गी व्यक्त किया और कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान राज्य ने आश्वासन दिया था कि एमआरआई मशीन 30 मार्च तक चालू हो जाएगी।
एमआरआई मशीन की स्थापना का मामला काफी समय से चल रहा है और राज्य को मार्च 2020 में मशीन को वापस खरीदने और स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश कोर्ट ने दिया था।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि संबंधित अधिकारियों ने अपनी संवेदनशीलता खो दी है और जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है क्योंकि उन्होंने मशीन लगाने के मामले में कई बार देरी की है।
इसलिए कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा का वेतन तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि एमआरआई मशीन स्थापित और चालू नहीं हो जाती।
मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को रखी गई है।